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परिसंचरण तंत्र

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Written by Priya Patel

July 11, 2022

परिसंचरण तंत्र

परिसंचरण तंत्र

Contents Summary

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. शरीर के समस्त भागों तक पोषक तत्त्वों एवं ऑक्सीजन को पहुँचाने वाले तथा व्यर्थ पदार्थों को उत्सर्जन- अंगों तक पहुँचाने वाले तन्त्र को क्या कहते हैं?
( क ) उत्सर्जन – तन्त्र ( ख ) पाचन तन्त्र
( ग ) परिसंचरण – तन्त्र ( घ ) श्वसन – तन्त्र

2. परिसंचरण तन्त्र का मुख्य अंग है –
( क ) फेफड़े ( ख ) हृदय
( ग ) धमनियाँ ( घ ) शिराएँ

3. फेफड़ों से ऑक्सीजन ग्रहण करके कोशिकाओं में कौन पहुँचाता है ?
( क ) प्लाज्मा ( ख ) हीमोग्लोबिन
( ग ) श्वेत रुधिर कणिकाएँ ( घ ) रुधिर प्लेटलेट्स

4. रक्त में पायी जाने वाली कणिकाएँ हैं –
( क ) लाल रक्त कण ( ख ) श्वेत रक्त कण
( ग ) प्लेटलेट्स ( घ ) ये सभी

5. रुधिर कोशिकाओं में उपस्थित लाल रंग का वर्णक होता है –

( क ) कैरोटीन ( ख ) हीमोग्लोबिन
( ग ) एन्थोसाइनिन ( घ ) एन्थोजैन्थिन

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6. रक्त का कौन – सा कण रक्त जमने में सहायक होता है ?

( क ) लाल रक्त कण ( ख ) श्वेत रक्त कण
( ग ) प्लेटलेट्स ( घ ) इनमें से कोई नहीं

7. फुफ्फुसीय शिरा में बहने वाला रक्त होता है –
( क ) शुद्ध ( ख ) अशुद्ध
( ग )( क ) व ( ख ) दोनों ( घ ) इनमें से कोई नहीं

8. हानिकारक रोगाणुओं को नष्ट करना व रोगों से रक्षा करना कार्य है –
( क ) लाल रुधिर कणिकाओं का ( ख ) श्वेत रुधिर कणिकाओं का
( ग ) प्लेटलेट्स का ( घ ) हीमोग्लोबिन का

9. श्वेत रक्त कणिकाओं का कार्य है –
( क ) हानिकारक रोगाणुओं को नष्ट करना
( ख ) विभिन्न प्रकार के प्रति विष तैयार करना
( ग ) शरीर की रोगों से रक्षा करना
( घ ) ये सभी

10. रुधिर का कौन – सा कण रुधिर जपने में सहायक होता है ?

( a ) लाल रूधिर कण ( b ) श्वेत रुधिर कण
( c ) प्लेटलेट्स ( d ) इनमें से कोई नहीं

11. रुधिर वर्गों की खोज किसने की ?
( a ) वाटसन ने ( b ) स्टीफन हाल ने
( c ) मेण्डल ने ( d ) कार्ल लैण्डस्टीनर ने
12. रुधिर संचरण में कौन – सा रुधिर वर्ग सर्वग्राही है ?
( a ) A ( b ) AB
( c ) B ( d ) O
12. हृदय किस प्रकार की मांसपेशी द्वारा निर्मित है ?
( a ) अनैच्छिक पेशी ( b ) ऐच्छिक पेशी
( c ) हृद् पेशी ( d ) ये सभी
13. रुधिर की शुद्धि किस अंग में होती है ?
( a ) श्वसन नलिका ( b ) आमाश्य
( c ) फेफड़े ( d ) हृदय
14. रक्त का थक्का बनाने वाला प्रोटीन है ?
( a ) ग्लोबुलीन ( b ) फाइब्रीनोजन
( C ) एल्बुमिन ( d ) ये सभी
15. फुफ्फुसीय शिरा में बहने वाला रुधिर होता है
( a ) शुद्ध ( b ) अशुद्ध
( c ) ‘ a ‘ और ‘ b ‘ दोनों ( d ) इनमें से कोई नहीं

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. परिसंचरण तन्त्र का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर – परिसंचरण तन्त्र का मुख्य कार्य शरीर के सभी भागों में पोषक तत्त्वों तथा ऑक्सीजन को पहुँचाना है ।
प्रश्न 2. रुधिर का संगठन लिखिए ।
उत्तर – रुधिर लाल , श्वेत कणिकाओं एवं प्लेटलेट्स से मिलकर बना होता है । इसका आधारीय पदार्थ तरल प्लाज्मा है ।
प्रश्न 3. प्लाज्मा में घुलनशील प्रोटीन कौन – कौन से हैं ? उत्तर – प्लाज्मा में घुलनशील प्रोटीन हैं – एल्ब्यूमिन , ग्लोब्यूलिन तथा फाइब्रिनोजेन ।
प्रश्न 4. रुधिर कणिकाओं का निर्माण अस्थि के किस भाग में होता है ?
उत्तर- रुधिर कणिकाओं का निर्माण अस्थि के अस्थि मज्जा नामक भाग में होता है ।
प्रश्न 5. लाल रुधिर कणिकाओं का कार्य लिखिए ।
अथवा हीमोग्लोबिन का क्या कार्य है ?
उत्तर – लाल रुधिर कणिकाओं में स्थित हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को फेफड़ों से अवशोषित कर शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है ।

प्रश्न 6. रुधिर बिम्बाणु ( प्लेटलेट्स ) रुधिर में क्या कार्य करते हैं ?
उत्तर – प्लेटलेट्स रूधिर का चक्का बनाने में सहायक होते हैं , इससे चोट लगने पर रुधिर का बाड़ा स्राव रुक जाता है ।
प्रश्न 7. यदि रुधिर में स्वतः जमने का गुण न हो , तो क्या हानि हो सकती है ?
उत्तर – यदि रुधिर में स्वतः जमने का गुण न हो , तो किसी भी चोट के लगने पर शरीर से बहुत अधिक रुधिर वह जाने से व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है ।
प्रश्न 8. हृदय के मुख्य भाग कौन से हैं ?
उत्तर – हृदय के दो मुख्य भाग है – अलिन्द तथा निलया प्रश्न 9. हृदय कार्य लिखिए ।
उत्तर – हृदय का मुख्य कार्य शरीर में रूधिर का सुचारू रूप से परिसंचरण करना है । हृदय फेफड़ों से शुद्ध रूधिर ग्रहण करके उसे पूरे शरीर में भेजता है तथा शरीर के विभिन्न अंगों से अशुद्ध रुधिर को ग्रहण करके पुनः शुद्धीकरण हेतु फेफड़ों में भेजता है ।
प्रश्न 10. रक्त परिभ्रमण में रक्त नलिकाओं की क्या भूमिका है ?
उत्तर – मनुष्य एवं अन्य कशेरुकी प्राणियों में बन्द परिसंचरण तन्त्र पाया जाता है । सम्पूर्ण शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त को पहुंचाने तथा वापस लाने के कार्य में रक्त नलिकाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्न – 

प्रश्न 1. हीमोग्लोबिन क्या है ? यह शरीर में क्या कार्य करता है ?
उत्तर – हीमोग्लोबिन रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में पाया जाने वाला लौह – प्रोटीन तत्त्व है । इसके अणुओं में दो भाग होते हैं –
1. ‘ हीम ‘ जोकि लौह युक्त पदार्थ ( वर्णक ) है ।
2. ‘ ग्लोबिन ‘ जोकि एक प्रोटीन है । हीमोग्लोबिन का लाल रंग लौह तत्व के कारण होता है ।
 हीमोग्लोबिन के कार्य – हीमोग्लोबिन शरीर में निम्नलिखित कार्य सम्पन्न करता है –

1. हीमोग्लोबिन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य ऑक्सीजन का परिवहन करना है । फेफड़ों में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन का निर्माण करता है । ऑक्सीहीमोग्लोबिन युक्त कणिकाएँ रुधिर प्रवाह के साथ शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचकर उनके ऊतकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है ।
2. शरीर में भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से बनने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस का परिवहन भी हीमोग्लोबिन द्वारा ही होता है , जिसे फेफड़ों द्वारा शरीर से अनावश्यक पदार्थ के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है ।

3. हीमोग्लोबिन शरीर के अन्त : बातावरण में pH सन्तुलन ( अम्ल क्षार सन्तुलन ) को बनाए रखने में सहायता करता है । यह मात्रा पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के कम होने के कारण अधिक होती है ।

प्रश्न 2. शरीर में श्वेत रुधिर कणिकाओं का क्या कार्य है ? 

उत्तर – श्वेत रुधिराणु अथवा ल्यूकोसाइट अनियमित आकार की रंगहीन कणिकाएँ हैं । श्वेत रुधिराणु शरीर की सुरक्षा से सम्बन्धित निम्नलिखित कार्य करते हैं –

1. न्यूट्रोफिल्स तथा मोनोसाइट्स प्रकार के श्वेत रुधिराणु शरीर में प्रवेश करने वाले जीवाणु आदि का भक्षण करके शरीर की सुरक्षा करते हैं , जिसके कारण इन्हें भक्षकाणु भी कहा जाता है ।

2. लिम्फोसाइट्स श्वेत रुधिराणुओं द्वारा शरीर में प्रतिरक्षी का निर्माण किया जाता है । इस प्रकार ये कणिकाएँ हानिकारक जीवाणु आदि से उत्पन्न विषाक्त पदार्थों के प्रभाव को निष्क्रिय कर देती हैं ।

3. श्वेत रुधिर कुणिकाएं प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करती है । ये मृत कोशिकाओं का भक्षण करके उन्हें एकत्र होने से बचाती है । पाव भरने में सहायक होने के कारण ये शरीर की रोगाणु आदि से रक्षा करती है । श्वेत रुधिर कणिकाओं के उपरोक्त कार्यों के आधार पर ही उन्हें शरीर के सैनिक कहा जाता है ।

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प्रश्न 3. मानव शरीर में रुधिर परिसंचरण की पाँच उपयोगिता लिखिए । 
उत्तर – मानव शरीर के परिसंचरण तन्त्र में हृदय , रुधिर वाहिनियाँ , रुधिर एवं अन्य तरल पदार्थ समाहित होते हैं । परिसंचरण तन्त्र शरीर के सभी भागों में पोषक तत्वों तथा ऑक्सीजन को पहुंचाने का कार्य करता है । इसके साथ – साथ यही तन्त्र शरीर में उत्पन्न होने वाले व्यर्थ पदार्थों को एकत्र करके उत्सर्जन तन्त्र को सौंपने का कार्य भी करता है । रुधिर परिसंचरण की उपयोगिता अथवा कार्य मानव शरीर में रुधिर परिसंचरण की उपयोगिता निम्नलिखित है –
1. ऑक्सीजन का परिवहन रुधिर ऑक्सीजन के परिवहन का कार्य करता है । लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन , ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है तथा ऊतकों में पहुँचकर ऑक्सीजन को मुक्त कर देता है ।
2. पोषक पदार्थों का संवहन छोटी आंत से अवशोषित भोज्य पदार्थ घुलनशील अवस्था में रुधिर प्लाज्मा द्वारा ऊतकों में पहुंचाए जाते हैं ।
3. उत्सर्जी पदार्थों का संवहन शरीर की विभिन्न उपापचयी क्रियाओं में उत्सर्जी पदार्थों का निर्माण होता है । रुधिर द्वारा नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को वृक्क ( गुर्दे ) में पहुंचाया जाता है , जहाँ से ये मूत्र के माध्यम से निष्कासित हो जाते हैं । श्वसन क्रिया में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैस , परिसंचरण तन्त्र के माध्यम से फेफड़ों में पहुँचाई जाती है ।
4. अन्य पदार्थों का परिसंचरण अन्तःस्रावित ग्रन्थियों से स्रावित हॉर्मोन्स के अतिरुिधिर विभिन्न एंजाइम्स , प्रतिरक्षी आदि को उनके निर्माण स्थान से अन्य स्थानों तक पहुँचाने का कार्य रुधिर ही करता है । इसके अतिरिक्त रुधिर परिसंचरण का कार्य शारीरिक ताप का नियन्त्रण , रोगो से रक्षा , रुधिर साव को रोकना तथा विभिन्न अंशों के कार्यों में समन्वय स्थापित करना होता है ।

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