आरक्षण पर निबंध
आरक्षण पर निबंध
आरक्षण पर निबंध
प्रस्तावना – देश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के पक्ष तथा विपक्ष में बहुत समय से बात-चीत हो रहा है। आरक्षण संबंधी आंदोलन का विद्रोह करने वाले अनेकों छात्रों ने अपने आप को अग्निदाह कर लिया। यह आंदोलन उस समय चरम सीमा पर था, जब श्री वी. पी. सिंह देश के प्रधानमंत्री थे।
मंडल आयोग तथा वी. पी. सिंह – 1 जनवरी सन् 1979 ई. को मंडल आयोग की स्थापना जनता सरकार द्वारा की गई थी। उसके संबंध में प्रधानमंत्री श्री वी. पी. सिंह ने 7 अगस्त सन् 1990 ई. को संसद में घोषणा कर दी। उन्होंने यह निर्णय लिया कि उनकी सरकार सरकारी तथा सार्वजनिक प्रतिष्ठानों की सेवाओं में 27% आरक्षण तुरंत लागू करेगी। उन्होंने यह भी घोषणा किया की गरीबों तथा पिछड़ी जातियों के नवयुवकों आदि को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए है।
सरकार का दृष्टिकोण – आज तक की सरकारों का यह दृष्टिकोण रहा है कि मौजूद स्थिति में जो आरक्षण पहले से चल रहा था वही कायम रहेगा और मंडल की राजनीति प्रदेश सरकारों पर छोड़ दी गई। यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण की ऊपरी सीमा 50% निर्धारित की है फिर भी बहुत से राज्यों की सरकारें इसके विरोध में है तथा वोट की राजनीति करते हुए 50% आरक्षण सीमा बढ़ाती जा रही हैं। केंद्र एवं कुछ राज्यों की सरकारें उच्च वर्गों के गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण की बात सोच रही है।
न्यायपूर्ण समाधान – मंडल कमीशन की सिफारिशों के अंतर्गत कालेजों तथा विश्वविद्यालय में पिछड़ी हुई जाति के छात्रों के लिए आरक्षण का सिद्धांत आजकल पूर्णरूप से लागू किया जा रहा है। इसी प्रकार के एक मुकदमे में 16 नवंबर सन् 1992 ई. को अपना निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों सरकारों के निर्णय को हटाकर 27% का आरक्षण पुनः लागू कर दिया। वास्तव में आर्थिक समानता तथा सामाजिक न्याय के सिद्धांत को दृष्टि में रखते हुए न्यायपूर्ण समाधान की अधिक आवश्यकता है।
उपसंहार – सामाजिक उत्थान के दृष्टिकोण से पिछड़ी जातियों के समस्त छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि उनकी शिक्षा का स्तर आवश्यकता के अनुरूप उच्च श्रेणी का बन सके। इस प्रकार उनकी कुशलता कम नहीं होगी। इसके साथ-साथ अन्य छात्रों की ईष्यापूर्ण भावना का भी अंत हो जाएगा ।