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‘आलोकवृत्त’ खंडकाव्य

आलोकवृत्त’ खंडकाव्य के आधार पर गांधीजी की चारित्रिक चरित्रगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए

'आलोकवृत्त' खंडकाव्य

प्रश्न – ‘आलोकवृत्त’ खंडकाव्य के आधार पर गांधीजी की चारित्रिक चरित्रगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए

उत्तर – ‘आलोकवृत्त’ खंडकाव्य के नायक महात्मा गांधी हैं। गांधीजी की चारित्रिक विशेषताएं इस प्रकार हैं –

1. देशप्रेमी गांधीजी के चरित्र की सर्वप्रथम विशेषता है — उनका देशप्रेमी होना। गांधीजी अपने देश से इतना प्रेम करते थे कि उन्होंने अपना तन, मन, धन सब कुछ देश के लिए समर्पित कर दिया। वे अनेक बार कारागार में गए। अंग्रेजों के अपमान और अत्याचार सहे।

2. सत्य और अहिंसा के उपासक गांधीजी देश की स्वतन्त्रता सत्य और अहिंसा के बल पर प्राप्त करना चाहते थे। वे अहिंसा को महान् शक्तिशाली अस्त्र मानते रहे। उन्होंने अपने जीवन में हिंसा न करने का दृढ़ निश्चय किया। कोई विरला व्यक्ति ही इस प्रकार अहिंसा का पूर्णरूप से पालन कर सकता है।

3. ईश्वर के प्रति आस्थावान गांधीजी पुरुषार्थी तो हैं, पर ईश्वर के प्रति दृढ़ आस्थावान भी हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में जो कुछ भी किया, ईश्वर को साक्षी मानकर ही किया। उनका मानना था कि साधन पवित्र होने चाहिए और परिणाम की इच्छा नहीं करनी चाहिए। परिणाम ईश्वर पर ही छोड़ देने चाहिए।

4. मानवीय मूल्यों के प्रति निष्ठावान गांधीजी ने अपने जीवन में मानवीय मूल्यों एवं सदाचरण को सदैव बनाए रखा। वे मानव – मानव में अन्तर नहीं मानते थे। वे समानता के सिद्धान्त में विश्वास करते हैं। उनके अनुसार जाति, धर्म, वर्ण एवं रूप के आधार पर भेदभाव करना अनुचित है। वे कहते थे कि ‘पाप से घृणा करो पापी से नहीं।’

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5. स्वतन्त्रता प्रेमी गांधीजी के जीवन का मुख्य उद्देश्य देश को स्वतन्त्र करवाना है। वे भारत माता की स्वतन्त्रता के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वे देशवासियों को गुलामी की जंजीरों को काटने के लिए प्रेरित करते हैं।

6. हिन्दू – मुस्लिम एकता के समर्थक उन्होंने सदैव हिन्दू और मुसलमानों को एक साथ रहने की प्रेरणा दी। वे ‘ विश्वबन्धुत्व ‘ और ‘ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘ की भावना से ओत – प्रोत थे । वे सभी को सुखी देखना चाहते थे। वे जीवन भर जनता को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए प्रयास करते रहे और हिन्दू – मुसलमानों को भाई – भाई की तरह रहने की प्रेरणा देते रहे।

7. स्वदेशी वस्तु एवं खादी को महत्त्व गांधीजी ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की प्रेरणा दी और उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया। जन – जन में खादी का प्रचार किया और उसे अपनाने की प्रेरणा दी।

8. आत्मविश्वासी गांधीजी आत्मविश्वास से परिपूर्ण थे। अपने जीवन में उन्होंने जो भी किया, पूर्ण आत्मविश्वास के साथ किया और उसमें वे सफल भी रहे।

9. सत्याग्रही गांधीजी ने सत्य की शक्ति पर पूर्ण भरोसा किया। अपने सत्याग्रह के बल पर ही उन्होंने देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करवाया और भारत को आजादी दिलवाई। अतः कहा जा सकता है कि गाँधीजी एक श्रेष्ठ मानव हैं। उनके निर्मल चरित्र पर उँगली उठाने का साहस किसी में भी नहीं है।

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