जनन स्वास्थ्य
जनन स्वास्थ्य
जनन स्वास्थ्य
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. ऐम्नियोटिक द्रव की कोशिकाओं में निम्न में से किसकी उपस्थिति से भ्रूणीय शिशु का लिंग निर्धारण होता है ?
( क ) बार पिण्ड ( ख ) लिंग – गुणसूत्र
( ग ) काइऐज्मेटा ( घ ) प्रतिजन
प्रश्न 2 . क्या पुरुष से सम्बन्धित है ?
( क ) वैसेक्टोमी ( ख ) गोलियाँ
( ग ) ट्यूबेक्टोमी( घ ) इनमें से कोई नहीं ।
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 . क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है ? यदि हाँ , तो क्यों ?
उत्तर- विद्यालयों में यौन शिक्षा अति आवश्यक है क्योंकि इससे छात्रों को किशोरावस्था सम्बन्धी परिवर्तनों व समस्याओं के निदान की सही जानकारी मिलेगी । यौन शिक्षा से उन्हें यौन सम्बन्ध के प्रति भ्रांतियाँ व मिथ्य धारणाओं को खत्म करने में सहायता मिलेगी , इसके साथ – साथ उन्हें सुरक्षित यौन सम्बन्ध , गर्भ निरोधकों का प्रयोग , यौन संचारित रोगों , उनसे बचाव व निदान की जानकारी प्राप्त होगी । इसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ी भावनात्मक व मानसिक रूप से समृद्ध होगी ।
प्रश्न 2. क्या गर्भ निरोधकों का उपयोग न्यायोचित है ? कारण बताएँ ।
उत्तर- विश्व की बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के गर्भ – निरोधकों का प्रयोग किया जाता है । कंडोम जैसे गर्भ निरोधक से न सिर्फ सगर्भता से बचा जा सकता है बल्कि यह अनेक यौन संचारित रोगों व संक्रमणों से भी बचाव करता है । गर्भ निरोधक के प्रयोग द्वारा किसी भी प्रकार के अवांछनीय परिणाम से बचा जा सकता है या उसे रोका जा सकता है । विश्व के अधिकांश दम्पति गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं । गर्भनिरोधकों के इन सभी महत्त्वों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इनका उपयोग न्यायोचित है ।
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प्रश्न 3. जनन ग्रन्थि को हटाना गर्भ निरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता है , क्यों ?
उत्तर- गर्भ निरोधक के अन्तर्गत वे सभी युक्तियाँ आती हैं जिनके द्वारा मृत्यु अवांछनीय गर्भ को रोका जा सकता है । गर्भ निरोधक पूर्ण रूप से ऐच्छिक जन् व उत्क्रमणीय होते हैं , व्यक्ति अपनी इच्छानुसार इनका प्रयोग बन्द करके , कि गर्भधारण कर सकता है । इसके विपरीत जनन ग्रन्थि को हटाने पर शुक्राणु ज अण्डाणुओं का निर्माण स्थायी रूप से खत्म हो जाता है अर्थात् उत्क्रमणीय नहीं होते हैं । एक बार जनन ग्रन्थि के हटाने पर पुनः करना असंभव होता है ।
प्रश्न 4. उत्वबेधन एक घातक लिंग निर्धारण ( जाँच ) प्रक्रिया है , जो हमारे देश में निषेधित है । क्या यह आवश्यक होना चाहिए ? टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर- उल्वबेधन एक ऐसी तकनीक है जिसके अन्तर्गत माता के गर्भ में से एम्नियोटिक द्रव ( amniotic fluid ) का कुछ भाग सीरिंज द्वारा बाहर निकाला जाता है । इस द्रव में फीट्स की कोशिकाएं होती है जिसके गुणसूत्रों का विश्लेषण करके भ्रूण की लिंग जाँच , आनुवांशिक संरचना , आनुवंशिक विकार व उपापचयी विकारों का पता लगाया जा सकता है । अतः इस जाँच प्रक्रिया का प्रमुख उद्देश्य होने वाली संतान में किसी भी संभावित विकलांगता अथवा विकार का पता लगाना है जिससे माता को गर्भपात कराने का आधार मिल सके । किन्तु आजकल इस तकनीक का दुरुपयोग भ्रूण लिंग ज्ञात करके , मादा भ्रूण हत्या के लिए हो रहा है । इसके फलस्वरूप हमारे देश का लिंगानुपात असंतुलित होता जा रहा है । मादा भ्रूण के सामान्य होने पर भी गर्भपात कर दिया जाता है क्योंकि अभी भी हमारे समाज में पुत्र जन्म को प्राथमिकता दी जाती है । ऐसा गर्भपात एक बच्चे की हत्या के समतुल्य है , अत : उल्वबेधन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाना अति आवश्यक है ।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी व्यक्ति को यौन संचारित रोगों के सम्पर्क में आने से बचने के लिए कौन – से उपाय अपनाने चाहिए ?उत्तर- यौन संचारित रोग यौन सम्बन्धों के द्वारा संचारित व अति संक्रामक होते हैं । इन रोगों से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए—
( i ) सहवास के दौरान कंडोम का प्रयोग करें ।
( ii ) समलैंगिकता से दूर रहें ।
( iii ) परगामी व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न बनायें ।
( iv ) वेश्यावृत्ति से दूर रहें ।
( v ) किसी भी प्रकार की यौन समस्या होने पर कुशल चिकित्सक से परामर्श लें ।
( vi ) अनजान व्यक्ति से यौन सम्बन्ध न बनायें ।
प्रश्न 2. जनसंख्या विस्फोट के कौन – से कारण हैं ?
उत्तर – जनसंख्या विस्फोट – विश्व की आबादी 2 व्यक्ति प्रति सेकण्ड या 2,00,000 व्यक्ति प्रतिदिन या 60 लाख व्यक्ति प्रतिमाह या लगभग 7 करोड़ प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है । आबादी में इस तीव्रगति से वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहते हैं । यह में कमी और जन्मदर में वांछित कमी न आने के कारण होता है ।
जनसंख्या में वृद्धि एवं इसके कारण-
किसी भी क्षेत्र में एक निश्चित समय में बढ़ी हुई आबादी या जनसंख्या को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं । जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं –
( i ) स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण शिशु मृत्युदर ( Infant Rate – IMR ) एवं मातृ मृत्युदर ( Maternal Mortality में कमी आई है।
( ii ) जनन योग्य व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि का होना ।
( iii ) अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण जीवन स्तर में सुधार होना।
( iv ) अशिक्षा के कारण व्यक्तियों को परिवार नियोजन के साधनों का सुधार होना । ज्ञान न होना और परिवार नियोजन के तरीकों को पूर्ण रूप से न अपनाया जाना ।
( v ) वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि होना ।
( vi ) सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों द्वारा अनेक महामारियों का समूल रूप से निवारण होना ।
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जनसंख्या वृद्धि पर कैसे नियन्त्रण किया जा सकता है ? परिवार नियोजन की वैज्ञानिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।
उत्तर – जनसंख्या नियन्त्रण – भारत में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय काम में लाये जा सकते हैं
1. शिक्षा की सुविधाओं का विस्तार – शिक्षित व्यक्ति प्रायः आय एवं व्यय के सिद्धान्त से भली – भाँति परिचित होने के कारण सीमित परिवार के महत्त्व को समझते हैं । यही कारण है कि शिक्षित परिवार सामान्यतः सीमित ही होते हैं ।
2. बच्चों की संख्या का निर्धारण – जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रति परिवार बच्चों की संख्या निर्धारित की जानी चाहिए । इसके लिए सरकारी स्तर पर कानून में संशोधन किये जाने चाहिए और यदि सम्भव न हो तो सीमित परिवार वाले व्यक्तियों को ऐसे प्रोत्साहन दिये जाने चाहिए जिनसे कि जन – सामान्य में इसके प्रति रुचि उत्पन्न हो सके । परिवार में बच्चों की संख्या निश्चित करके अनियन्त्रित ढंग से बढ़ रही जनसंख्या पर तुरन्त प्रभावी रोक लगायी जा सकती है ।
3. विवाह योग्य आयु में वृद्धि – विवाह का जनन से सीधा सम्बन्ध है ; अतः विवाह योग्य आयु में वृद्धि करने से प्रजनन दर में कमी लायी जा सकती है । वर्तमान समय में यह स्त्रियों के लिए कम – से – कम 18 वर्ष तथा पुरुषों के लिए कम – से – कम 21 वर्ष है । इसे अब क्रमशः 23 वर्ष और 25 वर्ष कर देना चाहिए । इसके साथ – साथ देर से विवाह करने वाले स्त्रियों एवं पुरुषों को प्रोत्साहन पुरस्कार देना भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है ।
4. गर्भपात को ऐच्छिक एवं सुविधापूर्ण बनाना — हमारे देश में गर्भपात को प्राचीन समय से ही घृणित माना गया है । गर्भपात की सुविधा को प शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध कराना जनसंख्या वृद्धि को रोकने क के लिए बहुत आवश्यक है । अनावश्यक गर्भ से छुटकारा पाकर स्त्रियाँ अपने परिवार में बच्चों की संख्या सीमित रख सकती हैं ।
5. परिवार कल्याण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाया जाये जनसंख्या वृद्धि की समस्या का वास्तविक निदान जनसंख्या को नियोजित एवं नियन्त्रित करने में निहित है । इसके लिए निम्नलिखित बातों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए-
( i ) आकाशवाणी एवं दूरदर्शन जैसे संचार माध्यमों द्वारा परिवार कल्याण के कार्यक्रमों को अधिकाधिक महत्त्व दिया जाना चाहिए ।
( ii ) बन्ध्याकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । इसके लिए चल चिकित्सालयों , चिकित्सा शिविरों एवं अन्य आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था व्यापक स्तर पर की जानी चाहिए ।
( iii ) सन्तति निरोध सम्बन्धी विभिन्न सामग्री को निःशुल्क अथवा अत्यधिक सस्ते मूल्यों पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए ।
( iv ) बन्ध्याकरण के लिए आवश्यक योग्य चिकित्सकों एवं अन्य कर्मचारियों को समय – समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाना चाहिए और यदि सम्भव हो तो शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् चिकित्सकों को एक या दो वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए बाध्य किया जाए ।
परिवार नियोजन की विधियाँ / गर्भ निरोधक – जनसंख्या को सीमित रखने के लिए विभिन्न प्रकार से परिवारों में सन्तानोत्पत्ति की दर को नियन्त्रित करके मानव जनसंख्या की वृद्धि को कम किया जा सकता है । इस प्रकार परिवार के आकार को सीमित रखना ही परिवार नियोजन है । इसके लिए कई विधियाँ अपनायी जाती हैं । इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा गया है –
1. बन्ध्याकरण या नसबन्दी ( Sterilization ) – इस प्रक्रिया को वैसेक्टॉमी ( vasectomy ) भी कहते हैं । इस प्रक्रिया में पुरुषों में वृषणकोष के ऊपरी भाग में शुक्रवाहिकाओं को काटकर इनके दोनों कटे सिरों को बाँध देते हैं । स्त्रियों में इसे सैल्पिजेक्टॉमी या ट्यूबेक्टोमी ( salpingectomy or tubectomy ) कहते हैं ।
2. कण्डोम का प्रयोग ( Use of Condom ) – यह एक पतली झिल्ली होती है । पुरुष सम्भोग के समय इसे लिंग पर चढ़ा लेता है । इस प्रकार , वीर्य स्त्री की योनि में स्खलित न होकर कण्डोम में ही रह जाता है ।
3. गर्भ निरोधक गोलियाँ ( Contraceptive Pills ) — इसमें ऐसे हॉर्मोन्स की गोलियाँ होती हैं जो युग्मानुजनन तथा गर्भधारण में हस्तक्षेप करते हैं । इन हॉर्मोन्स के कारण पिट्यूटरी ग्रन्थि के हॉर्मोन्स ( FSH तथा LH ) का स्रावण बहुत घट जाता है , जो अण्डाशयों को सक्रिय करते हैं ।
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