जीव और समष्टियाॅं
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जीव और समष्टियाॅं
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किसके लेग्यूम वर्ग के पौधों की जड़ ग्रन्थिकाओं से सहजीवी सम्बन्ध होते हैं ?
( क ) राइजोबियम
( ख ) ऐजोटोबैक्टर
( ग ) स्यूडोमोनास
( घ ) ये सभी
प्रश्न 2. ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न लाभ होता है न हानि , उसे कहते हैं-
( क ) अंतरजातीय परजीविता
( ख ) सहभोजिता
( ग ) सहोपकारिता
( घ ) स्पर्धा
प्रश्न 3. लाइकेन्स में फंगस तन्तु पोषण प्राप्त करते हैं।
( क ) वायु से
( ख ) शैवाल से
( ग ) मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों से
( घ ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शीत निष्क्रियता ( हाइबर्नेशन ) से उपरति ( डायपाज ) किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर- शीत निष्क्रियता ( Hibernation ) – यह इक्टोथर्मल या शीत निष्क्रिय जन्तुओं ( cold – blooded animals ) , जैसे — एम्फिबियन्स तथा रेप्टाइल्स की शरद नींद ( winter sleep ) है जिससे वे अपने आपको ठंड से बचाते हैं । इसके लिए वे निवास स्थान , जैसे —- खोह , बिल , गहरी मिट्टी आदि में रहने के लिए चले जाते हैं । यहाँ शारीरिक क्रियाएँ अत्यधिक मन्द हो जाती हैं । कुछ चिड़ियाँ एवं भालू के द्वारा भी शीत निष्क्रियता सम्पन्न की जाती है ।
उपरति ( Diapause ) – यह निलंबित वृद्धि या विकास का समय है । प्रतिकूल परिस्थितियों में झीलों और तालाबों में प्राणिप्लवक की अनेक जातियाँ उपरति में आ जाती हैं जो निलंबित परिवर्धन की एक अवस्था है ।
प्रश्न 2. अगर समुद्री मछली को अलवणजल ( फ्रेशवाटर ) की जलजीवशाला ( एक्वेरियम ) में रखा जाता है तो क्या वह मछली जीवित रह पाएगी ? क्यों और क्यों नहीं ?
उत्तर- अगर समुद्री मछली को अलवणजल ( freshwater ) की जल – जीवशाला में रखा जाए तो वह परासरणीय समस्याओं के कारण जीवित नहीं रह पाएगी तथा मर जाएगी । तेज परासरण होने के कारण रक्त दाब तथा रक्त आयतन बढ़ जाता है जिससे मछली की मृत्यु हो जाती है ।
प्रश्न 3 . अधिकतर जीवधारी 45 ° सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते । कुछ सूक्ष्मजीव ( माइक्रोब ) ऐसे आवास में जहाँ तापमान 100 ° सेंटीग्रेड से भी अधिक है , कैसे जीवित रहते हैं ?
उत्तर- सूक्ष्मजीवों में बहुत कम मात्रा में स्वतन्त्र जल रहता है। शरीर से जल निकलने से उच्च तापक्रम के विरुद्ध प्रतिरोध उत्पन्न होता है । सूक्ष्मजीवों की कोशाभित्ति में ताप सहन अणु तथा तापक्रम प्रतिरोधक एंजाइम्स भी पाए जाते हैं ।
प्रश्न 4. समष्टि ( पॉपुलेशन ) और समुदाय ( कम्युनिटी ) की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर – समष्टि ( Population ) – किसी खास समय और क्षेत्र में एक ही प्रकार की स्पीशीज के व्यष्टियों या जीवों की कुल संख्या को समष्टि कहते हैं ।
समुदाय ( Community ) किसी विशिष्ट आवास स्थान की जीव समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है ।
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प्रश्न 5 , मरुद्भिद् पौधों में कांटे किसका रूपान्तरण हैं ? उत्तर- मरुद्भिद् पौधों ( जैसे – नागफनी ) में कांटे पत्तियों के रूपान्तर हैं ।
प्रश्न 6. रात्रि के समय नागफनी ( Opuntia ) के पौधे में कौन – सा अम्ल बनता है ?
उत्तर- मैलिक अम्ल ।
प्रश्न 7. उत्पादक तथा अपघटक में अंतर कीजिए।
उत्तर- उत्पादक हरे पौधे होते हैं , जो प्रकाश – संश्लेषण द्वारा भोज निर्माण करते हैं । अपघटक के अन्तर्गत सूक्ष्म जीव जैसे जीवाणु एवं क आते हैं जो मृत पौधों एवं जन्तुओं का अपघटन करते हैं ।
प्रश्न 8. किन्हीं दो बाह्योष्मी प्राणी के नाम लिखिए ।
उत्तर- 1. छिपकली , 2. मेंढक ।
प्रश्न 9. ऑर्किड पौधा , आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑफ़टका और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?
उत्तर- ऑर्किड पौधा तथा आम के पेड़ की शाखा सहभोजिता प्रदष्टि घ और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है । आम की शाखा प अधिपादप के रूप में उगने वाले ऑर्किड को लाभ होता है जबकि आम प्रभावित हो पेड़ को उससे कोई लाभ नहीं होता ।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वनस्पति समूह को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो पारिस्थितिक कारकों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- वनस्पति समूह को प्रभावित करने वाले दो पारिस्थितिक कारक निम्न हैं—
( i ) जलवायु सम्बन्धी कारक – इसके अन्तर्गत प्रकाश , तापमान , जल , वर्षा जल , वायमुण्डलीय गैसें , वायुमण्डलीय आर्द्रता आदि का वनस्पति समूहों पर प्रभाव के बारे में अध्ययन किया जाता है । –
( ii ) स्थलाकृतिक कारक – इसके अन्तर्गत समुद्र की सतह से ऊँचाई , पर्वतों तथा घाटियों की दिशा , ढलान की प्रवणता , आदि कारक आते है जो जल – वायवीय कारकों के साथ कार्य करते हैं ।
प्रश्न 2. उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं ।
उत्तर- समष्टि ( population ) में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि ( individual ) में नहीं पाए जाते । जैसे व्यष्टि जन्म लेता है , इसकी मृत्यु होती है , लेकिन समष्टि की जन्मदर ( natality ) और मृत्युदर ( mortality ) होती है । समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यष्टि जन्मदर और मृत्युदर कहते हैं । जन्म और मृत्युदर को समष्टि के सदस्यों के सम्बन्धों में संख्या में वृद्धि का ह्रास ( increase or decrease ) के रूप में प्रकट किया जाता है ।
समष्टि की दूसरी विशेषता लिंग अनुपात अर्थात् नर एवं मादा का अनुपात सामान्यतया समष्टि मे यह अनुपात 50 : 50 होता है . लेकिन इसमें भिन्नता भी हो सकती है जैसे – समष्टि मे 60 प्रतिशत मादा और 40 प्रतिशत नर है। निर्धारित समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है । यदि समष्टि के सदस्यों की आयु वितरण को आलेखित ( plotted ) किया जाए तो इससे बनने वाली संरचना आयु पिरॅमिड ( age pyramid ) कहलाती है । पिरैमिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिम्बित करता आप कैसे सजातीय , अन्तर्जातीय प्रतिस्पर्धा , पीड़कनाशी , वातावरणीय कारकों आदि से ऑर्किसमष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को स्पष्ट करता है । यह है
( i ) क्या यह बढ़ रहा है ,
( ii ) स्थिर है या
( iii ) घट रहा है ।
समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को स्पष्ट करता है। यह सजातीय, अन्तर्जातीय प्रतिस्पर्धा, पीड़कनाशी, वातावरणीय कारको आदी से प्रभावित होता है । इसे तकनीकी भाषा में समष्टि घनत्व से स्पष्ट करते हैं । समष्टि घनत्व का आकलन विभिन्न प्रकार से किया जाता है । किसी जाति के लिए समष्टि घनत्व ( आकार ) निश्चित नहीं होता । यह समय – समय पर बदलता रहता है । इसका कारण भोजन की मात्रा , परिस्थितियों में अन्तर , परभक्षण आदि होते हैं । समष्टि की वृद्धि चार कारकों पर निर्भर करती है जिनमें जन्मदर ( natality ) और आप्रवासन ( immigration ) समष्टि में वृद्धि करते हैं , जबकि मृत्युदर ( death rate – mortality ) तथा उत्प्रावसन ( emigration ) इसे घटाते हैं । यदि आरम्भिक समष्टि No है . Nt एक समय अन्तराल है तथा बाद की समष्टि है तो
Nt = No + ( B + I ) – ( D + E )
= No + B + I – D – E
समीकरण से स्पष्ट है कि यदि जन्म लेने वाले ‘B’ संख्या + अप्रवासी ‘I’ की संख्या
(B + I) मरने वालों की संख्या ‘D’ + उत्प्रवासी ‘E’ किस संख्या से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा अन्यथा घट जाएगा।
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प्रश्न 3. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
( क ) मरुस्थलीय पादपों और प्राणियों का अनुकूलन ,
( ख ) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन ,
( ग ) प्राणियों में व्यावहारिक
( घ ) पादपों के लिए प्रकाश का ( बिहेवियोरल ) अनुकूलन , महत्त्व ,
( ङ ) तापमान और जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन ।
उत्तर – ( क ) 1. मरुस्थलीय पादपों के अनुकूलन इस प्रकार हैं-
( i ) इनकी जड़ें बहुत लम्बी , शाखित , मोटी एवं मिट्टी के नीचे अधिक गहराई तक जाती हैं ।
( ii ) इनके तने जल – संचय करने के लिए मांसल और मोटे होते हैं ।
( iii ) रन्ध्र स्टोमैटल गुहा में धँसे रहते हैं ।
( iv ) पत्तियाँ छोटी , शल्कपत्र या काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं ।
( v ) तना क्यूटिकिल युक्त तथा घने रोम से भरा होता है ।
2. मरुस्थलीय प्राणियों के अनुकूलन इस प्रकार हैं—
( i ) मरुस्थल के छोटे जीव , जैसे — चूहा , साँप , केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को बिल से बाहर निकलते हैं ।
( ii ) कुछ मरुस्थलीय जन्तु अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करते हैं । उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपनी आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है । ( iii ) जन्तु प्राय : सूखे मल का त्याग करता है ।
( iv ) फ्रीनोसोमा तथा मेलोच होरिडस में काँटेदार त्वचा पाई जाती है ।
( ख ) जल की कमी के प्रति पादपों में अनुकूलन – ये मरुस्थलीय पादप कहलाते हैं । अत : इनका अनुकूलन मरुस्थलीय पादपों के समान होगा ।
( ग ) प्राणियों में व्यावहारिक अनुकूलन इस प्रकार हैं—
( i ) शीत निष्क्रियता , ( ii ) ग्रीष्म निष्क्रियता ,
( iii ) सामयिक सक्रियता , ( iv ) प्रवास आदि ।
( घ ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व इस प्रकार है-
( i ) ऊर्जा का स्रोत , ( ii ) दीप्तिकालिक आवश्यकता , ( iii ) वाष्पोत्सर्जन , ( iv ) पुष्पन , ( v ) पादप गति , ( vi ) पिग्मेंटेशन , ( vii ) वृद्धि ( viii ) कंद निर्माण आदि ।
( ङ ) 1. तापमान में कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है-
( i ) शीत निष्क्रियता , ( ii ) सामयिक सक्रियता , ( iii ) प्रवास आदि ।
2. जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है—
( i ) सूखे मल का त्याग करना । ( ii ) अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करना । ( iii ) सूखे वातावरण को सहने की क्षमता ( iv ) उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपने आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है ।
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