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जैव विविधता एवं संरक्षण

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जैव विविधता एवं संरक्षण

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1. उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है
( क ) मोर ( ख ) सारस
( ग ) कबूत ( घ ) गौरैया

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन – सा स्तनिन संकटग्रस्त नहीं है ?
( क ) लाल पाण्डा ( ख ) कस्तूरी मृग
( ग ) नील गाय ( घ ) भारतीय बबर शेर

प्रश्न 3. प्राकृतिक वासस्थान में जीवों का संरक्षण कहलाता है-
( क ) उत्थाने संरक्षण ( ख ) स्वस्थाने संरक्षण
( ग ) ( क ) व ( ख ) दोनों ( घ ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 4. घाना राष्ट्रीय उद्यान किस प्रदेश में स्थित है ?
( क ) सिक्किम ( ख ) असम
( ग ) राजस्थान ( घ ) उत्तराखण्ड

प्रश्न 5. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के किस राज्य में स्थित है ?
( क ) असम ( ख ) गुजरात
( ग ) महाराष्ट्र ( घ ) पंजाब

प्रश्न 6. एशियाई शेरों के लिए एकमात्र प्राकृतिक वास गिर राष्ट्रीय उद्यान कहाँ पर स्थित है ?
( क ) उत्तराखण्ड ( ख ) राजस्थान
( ग ) गुजरात ( घ ) मध्य प्रदेश

प्रश्न 7. निम्नलिखित में से कौन – सा भारतीय जैव – विविधता तप्त – स्थल नहीं है ?
( क ) इण्डो – बर्मा ( ख ) पूर्वी हिमालय
( ग ) पश्चिमी घाट एवं श्रीलंका ( घ ) मेडागास्कर एवं हिन्द महासागर द्वीप

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 . वन्य जीवन और जैव – विविधता में अन्तर बताइए – उत्तर – वन्य जीवन में वे सभी प्राणी तथा पादप आते हैं जो मनुष्य के नियन्त्रण और प्रभुत्व से दूर अपने प्राकृतिक वासस्थानों में रहते हैं जबकि जैव विविधता में सभी जीव , जातियाँ , समष्टियाँ , उनके बीच आनुवंशिक विभिन्नताएँ तथा सभी समुदायों के एकत्रित सम्मिश्र व पारिस्थितिक तन्त्र आते हैं ।

प्रश्न 2 .जैव – विविधता की परिभाषा लिखिए । इसके संरक्षण की दो विधियों का उल्लेख कीजिए ।
जैव – संरक्षण की विधियाँ –
1 . स्वस्थाने संरक्षण
2. बहिस्थाने संरक्षण

प्रश्न 3. विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष किस दिनांक को मनाया जाता है ? इसका उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- जैव – विविधता एवं पर्यावरण के संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ।

प्रश्न 4. निम्नलिखित प्राणी कहाँ पाये जाते हैं ?
( i ) बबर शेर ( ii ) बाघ
उत्तर -( i ) बबर शेर – गुजरात के काठियावाड़ में स्थित गिर जंगल में।

( ii ) बाघ – पश्चिम बंगाल में स्थित सुन्दरवन में ।

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प्रश्न 5 . विलुप्त प्रजातियाँ क्या हैं ?
उत्तर- जीव – जन्तुओं की वे प्रजातियाँ जिनका अस्तित्व वर्तमान में पृथ्वी पर से पूर्णरूप से समाप्त हो गया है , विलुप्त प्रजातियाँ कहलाती हैं ।

प्रश्न 6. सहविलुप्तता क्या है ? इसका एक उदाहरण लिखिए । उत्तर – सहावलुप्तता ( Co – extinctions ) जब एक जाति विलुप्त जाने वाले है तब उस पर आधारित दूसरी जन्तु व पादप जातियाँ भी विलुप्त होने स्थापित लगता है । जब एक परपोषी मत्स्य जाति विलुप्त होती है तब उसके विशिष्ट पवित्र उ का भी वही भविष्य होता है । दूसरा उदाहरण विकसित संरक्षण ( कीट ) का विलोपन भी निश्चित रूप से होता है । परागणकारी सहोपकारिता का है जहाँ एक ( पादप ) के विलोपन से दूसरे गतिविधि योगदान

प्रश्न 7. कौन – सा जन्तु अत्यधिक शिकार के कारण भारत में विलुप्त हो – रहा है ?
कस्तूरी मृग

प्रश्न 8.भारत के राष्ट्रीय जन्तु का नाम लिखिए । इसके संरक्षण के लिए कौन – सी परियोजना प्रारम्भ की गई है ?

उत्तर – भारत के राष्ट्रीय जन्तु का नाम ‘ बाघ ‘ है । इसके संरक्षण के लिए पहले ‘ प्रोजेक्ट टाइगर ‘ परियोजना प्रारम्भ की गई है ।

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प्रश्न 9. राष्ट्रीय उद्यान से आप क्या समझते है ? भारत के प्रथम राष्ट्रीय था । उद्यान का नाम लिखिए ।
उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान वह क्षेत्र होता है जहाँ पर वन्य जीव एवं जाम पारिस्थितिक तन्त्र दोनों के संरक्षण के लिए स्थितियाँ सुनिश्चित होती हैं । भारत के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का नाम हेले राष्ट्रीय उद्यान है जो सन् 1936 में स्थापित किया गया था । इसका वर्तमान नाम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान है ।

प्रश्न 10. राष्ट्रीय पार्क एवं वन्य जीव सैन्क्चुअरी में अन्तर बताइए ।
उत्तर- राष्ट्रीय पार्क वन्य जीव एवं पारिस्थितिक तन्त्र दोनों के संरक्षण के लिए सुनिश्चित होते हैं जबकि वन्य जीव सैन्क्चुअरी केवल वन्य – जीव का संरक्षण करने के लिए सुनिश्चित होते हैं । या काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान , सिबसागर , जोरहट ( असम ) एवं मानस प्राणिविहार बारपोटा ( असम ) में भारतीय गैंडों को संरक्षित किया गया है ।

प्रश्न 11. उत्तरी भारत में स्थित किन्हीं चार राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए ।
उत्तर -1 , दुधवा राष्ट्रीय उद्यान ( उत्तर प्रदेश )
2. नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान ( उत्तराखण्ड )
3. कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान ( उत्तराखण्ड )
4. दचिगम राष्ट्रीय उद्यान ( जम्मू एवं कश्मीर )

प्रश्न 12. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित राष्ट्रीय उद्यान का लिखिए ।
उत्तर- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान ।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उष्ण कटिबन्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक स्तर की जाति – समृद्धि क्यों मिलती है ? इसकी तीन परिकल्पनाएँ दीजिए ।

उत्तर- इस प्रकार की परिकल्पनाएँ निम्नवत् हैं –
1. जाति उद्भवन ( speciation ) आमतौर पर समय का कार्य है । शीतोष्ण क्षेत्र में प्राचीन काल से ही बार – बार हिमनद ( glaciation ) होता रहा है जबकि उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र लाखों वर्षों से अबाधित रहा है । इसी कारण जाति विकास तथा विविधता के लिए लम्बा समय मिला है । 2. उष्ण कटिबन्धीय पर्यावरण शीतोष्ण पर्यावरण ( temperate environment ) से भिन्न तथा कम मौसमीय परिवर्तन दर्शाता है । यह स्थिर पर्यावरण निकेत ( niches ) विशिष्टीकरण को प्रोत्साहित करता रहा है जिसकी वजह से अधिकाधिक जाति विविधता उत्पन्न हुई है।
3. उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में अधिक सौर ऊर्जा उपलब्ध है जिससे उत्पादन अधिक होता है जिससे परोक्ष रूप से अधिक जैव – विविधता उत्पन्न हुई है ।

प्रश्न 2. पादपों की जाति विविधता ( 22 प्रतिशत ) , जन्तुओं ( 72 प्रतिशत ) की अपेक्षा बहुत कम है । क्या कारण है कि जन्तुओं में अधिक विविधता मिलती है?
उत्तर- प्राणियों में अनुकूलन की क्षमता पौधों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है । प्राणियों में प्रचलन का गुण पाया जाता है , इसके फलस्वरूप विपरीत परिस्थितियाँ होने पर ये स्थान परिवर्तन करके स्वयं को बचाए रखते हैं । इसके विपरीत पौधे स्थिर होते हैं , उन्हें विपरीत स्थितियों का प्र अधिक सामना करना ही पड़ता है । प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र तथा अन्तःस्रावी म तन्त्र पाया जाता है । इसके फलस्वरूप प्राणी वातावरण से संवेदनाओं को क ग्रहण करके उसके प्रति अनुक्रिया करते हैं । प्राणी तन्त्रिका तन्त्र एवं इन् अन्तःस्रावी तन्त्र के फलस्वरूप स्वयं को वातावरण के प्रति अनुकूलित कर प्र लेते हैं । इन कारणों के फलस्वरूप किसी भी पारितन्त्र में प्राणियों में पौधों प की तुलना में अधिक जैव – विविधता पाई जाती है ।

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प्रश्न 3 . पारितन्त्र सेवा के अन्तर्गत बाढ़ व भू – अपरदन ( सॉयल इरोजन )  नियन्त्रण आते हैं । यह किस प्रकार पारितन्त्र के जीवीय घटकों अ ( बायोटिक कम्पोनेंट ) द्वारा पूर्ण होते हैं ?
उत्तर- पारितन्त्र को संरक्षित कर बाढ़ , सूखा व भू – अपरदन ( soil erosion ) जैसी समस्याओं पर नियन्त्रण पाया जा सकता है । वृक्षों की जड़ें मृदा कणों को जकड़े रहती हैं , जिससे जल तथा वायु प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होते हैं । वृक्षों के कटान से यह अवरोध समाप्त हो जाता है । मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत तीव्र वायु या वर्षा के जल के साथ बहकर नष्ट हो जाती है । इसे मृदा अपरदन कहते हैं । पहाड़ों में जल ग्रहण क्षेत्रों के वृक्षों को काटने से मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है और यह अधिक गम्भीर रूप धारण कर लेती है । बाढ़ के समय नदियों का पानी किनारों से तेज गति से टकराता है और इन्हें काटता रहता है । इसके फलस्वरूप नदी का प्रवाह सामान्य दिशा के अतिरिक्त अन्य दिशाओं में भी होने लगता है । वृक्षारोपण , बाढ़ नियन्त्रण तथा मृदा अपरदन को रोकने का प्रमुख उपाय है । वृक्ष मरुस्थलों में वातीय अपरदन ( wind erosion ) को रोकने में उपयोगी होते हैं । वृक्ष वायु गति की तीव्रता को कम करने में सहायक होते हैं जिससे क अपरदन की दर कम हो जाती है ।

प्रश्न 4. वन्य प्राणियों के विनाश के चार प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर- वन्य प्राणियों के विनाश के चार प्रमुख कारण निम्नवत् हैं –
( i ) तीव्र वनोन्मूलन जिसके कारण वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास य समाप्त होते जा रहे हैं ।
( ii ) गैर – कानूनी रूप से वन्य प्राणियों का शिकार ।
( iii ) मानव की क्रियाओं या भूलवश या प्राकृतिक कारणों से वनों में लगने वाली आग ।
( iv ) प्रदूषण ने विभिन्न प्राणियों के आवासों को विभिन्न प्रकार से दूषित कर दिया है जिससे इनमें रहने वाले जीवों का जीवनकाल कम हो गया है ।

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प्रश्न 5. पारितंत्र के कार्यों के लिए जैव – विविधता कैसे उपयोगी है ?
उत्तर- जैव विविधता की पारितन्त्र के कार्यों के लिए उपयोगिता – अनेक दशकों तक पारिस्थितिकविदों का विश्वास था कि जिस समुदाय में अधिक जातियाँ होती हैं वह पारितन्त्र कम जाति वाले समुदाय से अधिक स्थिर रहता है ।
डेविड टिलमैन ( David Tilman ) ने प्रयोगशाला के बाहर के भूखण्डों पर लम्बे समय तक पारितन्त्र के प्रयोग के बाद पाया कि उन भूखण्डों में जिन पर अधिक जातियाँ थीं , साल दर साल कुल जैवभार में कम विभिन्नता दर्शाई । उन्होंने अपने प्रयोगों में यह भी दर्शाया कि विविधता में वृद्धि से उत्पादकता बढ़ती है ।
हम यह महसूस करते हैं कि समृद्ध जैव विविधता अच्छे पारितन्त्र के लिए जितनी आवश्यक है , उतनी ही मानव को जीवित रखने के लिए भी आवश्यक है । प्रकृति द्वारा प्रदान की गई जैव विविधता की अनेक पारितन्त्र सेवाओं में मुख्य भूमिका है । तीव्र गति से नष्ट हो रहा अमेजन वन पृथ्वी के वायुमण्डल को लगभग 20 प्रतिशत ऑक्सीजन , प्रकाश संश्लेषण द्वारा प्रदान करता है । पारितन्त्र की दूसरी सेवा परागणकारियों ; जैसे — मधुमक्खी , गुंजन मक्षिका पक्षी तथा चमगादड़ द्वारा की जाने वाली परागण क्रिया है जिसके बिना पौधों पर फल तथा बीज नहीं बन सकते । हम प्रकृति से अन्य अप्रत्यक्ष सौन्दर्यात्मक लाभ उठाते हैं । पारितन्त्र पर्यावरण को शुद्ध बनाता है । सूखा तथा बाढ़ आदि को नियन्त्रित करने में हमारी मदद करता है ।

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