डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी
डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
जीवन-परिचय – डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक गांव में एक सरयूपारीय ब्राह्मण परिवार में सन् 1907 ई॰ को हुआ था। पारिवारिक परंपरा के अनुसार इन्होंने प्रारंभ में संस्कृत का अध्ययन किया और सन् 1930 ई॰ में काशी विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1950 ई॰ में डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी काशी विश्वविद्यालय में हिंदी-विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए। इससे 1 वर्ष पूर्व ही लखनऊ विश्वविद्यालय ने इनको डी० लिट्० की सम्मानित उपाधि से विभूषित किया। भारत सरकार ने सन् 1957 ई॰ में इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि प्रदान की। सन् 1960 से 1966 ई॰ तक ये चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में हिंदी-विभाग के अध्यक्ष रहे। इसके पश्चात उन्होंने भारत सरकार की हिंदी-संबंधी विभिन्न योजनाओं का उत्तरदायित्व संभाला था। 19 मई सन् 1979 ई॰ को डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी का निधन हो गया।
कृतियां – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी गद्य क्षेत्र में उपन्यास, आलोचना, निबंध और इतिहास-संबंधी बहुत से ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं-
उपन्यास – बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचंद्रलेख, पुनर्नवा।
साहित्यिक, शास्त्रीय और आलोचनात्मक ग्रंथ – सूरदास, कबीर, कालिदास की लालित्य योजना, साहित्य सहचर, साहित्य का मर्म।
निबंध-संग्रह – अशोक के फूल, कुटज, विचार-प्रवाह, विचार और वितर्क, कल्पलता, आलोक पर्व।
इतिहास – हिंदी साहित्य का आदिकाल, हिंदी साहित्य की भूमिका, हिंदी साहित्य।