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पंचलाइट कहानी का सारांश

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Written by Priya Patel

February 27, 2021

पंचलाइट कहानी का सारांश

 पंचलाइट कहानी का सारांश

प्रश्न- ‘पंचलाइट’ कहानी का सारांश संक्षिप्त में लिखिए।

उत्तर – ‘पंचलाइट’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित कहानी है। ‘पंचलाइट’ कहानी के सारांश को हम निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझ सकते हैं –

पंचलाइट को खरीदना – महतो टोले की पंचायत में पन्द्रह महीने से जुर्माने का धन जमा होता आ रहा था। रामनवमी के मेले में पंचों ने पेट्रोमैक्स खरीदा, जिसे वे पंचलाइट कहते थे। पंचलाइट खरीदने के बाद 10 रूपये बच गये। पंचों द्वारा इस प्रकार बचे हुए 10 रूपये से पूजा की सामग्री खरीद कर पूजा करने का निर्णय किया गया। टोले भर के लोग पंचलाइट को देखने आये। जिसमें पुरुष, महिलाएं तथा बच्चे थे।

कीर्तन की विधिवत तैयारी करना – 10 रुपए की पूजा सामग्री खरीद ली गई। सब लोग इकट्ठा हो गए। सरदार ने अपनी पत्नी से कहा – “साँझ को पूजा होगी, जल्दी से नहा धोकर चौक-पीढ़ी लगाओ।” कीर्तन मंडली के सरदार मूलधन ने अपने व्यक्तियों से कहा – “देखो, आज पंचलैट की रोशनी में कीर्तन होगा।” सूर्यास्त होने के 1 घंटा पहले ही टोले भर के लोग सरदार के दरवाजे पर इकट्ठा होने लगे।

पंचलाइट को जलाने की समस्या – सरदार ने पंचलाइट खरीदने का पूरा किस्सा लोगों को सुनाया। टोली के लोगों ने अपने सरदार और दीवान को श्रद्धा भरी नजरों से देखा। परंतु उस टोले में पंचलैट जलाना किसी को नहीं आता था। समस्या यह था कि पंचलैट जलायेगा कौन? खरीदने से पहले यह बात किसी के दिमाग में नहीं आई थी। पंचलैट न जलने से पंचों के चेहरे उतर गये थे। राजपूत टोले के लोगो ने उनका मजाक बनाया। सभी ने धैर्य के साथ उनका मजाक सहन किया।

गोवर्धन का बिरादरी में शामिल किया जाना – टोले में पंचलैट जलाने की विद्या बस एक व्यक्ति जानता है। जिसका नाम गोधन है। केवल गुलरी काकी की बेटी मुनरी जानती है कि गोधन पंचलैट जलाना जानता है। परंतु गोधन को पंचों के लोग ने उसे बिरादरी से बाहर निकाल रखा था क्योंकि वह ‘सलीमा’ का गीत गाते हुये मुनरी के घर के सामने से जाता था। मुनरी ने अपनी सहेली कनेली के कान में यह बात बतायी। कनेली ने यह सूचना सरदार के कान तक पहुंचा दी कि गोधन पंचलैट जलाना जानता है। अब यह विचार करने की बात थी कि बिरादरी से हुक्का बंद गोधन को बुलाया जाय या नहीं। सरदार ने कहा कि—जाति की बंदिश ही क्या जबकि जाति की इज्जत पानी में बही जा रही है! सबकी राय से गोधन को बुलाना तय हो गया। छड़ीदार को गोधन के पास बुलाने भेजा। परंतु गोधन ने आने से इनकार कर दिया। अंत में पंचों की राय से गुलरी काकी गई और वह गोधन को मना लायी । अब गोधन की बिरादरी मे वापसी हुई।

गोधन के सात खून का क्षमा किया जाना – गोधन आकर पंचलैट जलाने लगा। उसने स्र्पिट मांगी। उपस्थित वहां के सभी लोगों में फिर मायूसी छा गयी। क्योंकि स्र्पिट तो लायी ही नहीं गई थी। गोधन स्र्पिट के अभाव में गरी के तेल से ही लाइट जला दी। पंचलैट को जलते देखकर सब प्रसन्न हो गए और गोधन की प्रशंसा करने लगे। मुनरी ने हसरत भरी दृष्टि से गोधन को देखा। आंखें चार हुई और आंखो से बात हुई — “कहा सुना माफ करना। मेरा क्या कसूर !” सरदार ने गोधन को बड़े प्यार से अपने पास बुलाया और कहा — “तुमने जाति की इज्जत रखी है । तुम्हारा सात खून माफ। खूब गाओ सलीमा का गाना।” गुलरी काकी ने गोधन को रात के खाने पर आमंत्रित किया। गोधन ने एक बार फिर मुनरी को देखा, मुनरी की पलकें झुक गयी।

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Hi, I’m Priya Patel, founder of Knowledgebeem. I help Class 8-12 students learn English, Science, and Math easily. I also share model papers, board exam guides, and tips for UP Police, SSC, Railway, and BHU. Teaching in simple way is my motto!

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