प्रदूषण पर निबंध
प्रदूषण पर निबंध
-: प्रदूषण पर निबंध :-
प्रदूषण का अर्थ – संतुलित वातावरण में ही जीवन का विकास संभव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति द्वारा प्रदान पर्यावरण जीवधारियों के अनुकूल होता है। जब वातावरण में कुछ हानिकारक घटक आ जाते हैं तो वे वातावरण का संतुलन बिगाड़कर उसको दूषित कर देते हैं। इस प्रकार वातावरण के दूषित हो जाने को ही प्रदूषण कहते हैं। जनसंख्या की वृद्धि और औद्योगिक प्रगति ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है और आज इसने इतना विशाल रूप धारण कर लिया है कि उससे मानव के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है।
प्रदूषण के प्रकार – प्रदूषण के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. वायु प्रदूषण – वायु जीवन का अनिवार्य स्रोत है। प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध वायु अर्थात ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जिस कारण वायुमंडल में इनकी विशेष अनुपात में उपस्थिति आवश्यक है। मनुष्य सास द्वारा ऑक्सीजन को ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इससे वायुमंडल में शुद्धता बनी रहती है। आजकल वायुमंडल में ऑक्सीजन गैस का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गयी है
2. जल प्रदूषण – जल को जीवन कहा जाता है और यह भी माना जाता है कि जल के बिना जीव-जंतु और पेड़–पौधे का भी अस्तित्व नहीं है। फिर भी बड़े-बड़े नगरों के गंदे नाले और सीवर नदियों में मिला दिये जाते हैं। कारखानो का सारा मैल बहकर नदियों के जल में आकर मिलता है। इससे जल प्रदूषित हो गया है और उससे भयानक बीमारीयां उत्पन्न हो रही है जिससे लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है।
3. ध्वनि प्रदूषण – ध्वनि प्रदूषण भी आज की नई समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर, कार, ट्रैक्टर, विमान, कारखानो के रसायन, मशीनें तथा लाउडस्पीकर ध्वनि के संतुलन को बिगाड़कर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से मानसिक विकृति, तीव्र क्रोध, अनिद्रा एवं चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्या तेजी से बढ़ रही हैं।
4. रेडियोधर्मी प्रदूषण – आज के युग में वैज्ञानिक परीक्षण का जोर है। परमाणु परीक्षण निरंतर होते ही रहते हैं। इसके विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ संपूर्ण वायुमंडल में फैल जाते हैं और अनेक प्रकार से जीवन को क्षति पहुंचाते हैं।
5. रासायनिक प्रदूषण – कारखानो से बहते हुए अपशिष्ट द्रव्य के अलावा रोगनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों से और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये पदार्थ पानी के साथ बहकर जीवन को अनेक प्रकार से हानि पहुंचाते हैं।
प्रदूषण की समस्या तथा इससे हानियां – बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण ने विश्व के सामने प्रदूषण की समस्या पैदा कर दी हैं। कारखानों के धुएं, विषैले कचरे के बहाव से तथा जहरीली गैसो के रिसाव से आज मानव जीवन समस्या ग्रस्त हो गया है। इस प्रदूषण से मनुष्य जानलेवा बीमारी का शिकार हो रहा है। कोई अपंग होता है तो कोई बहरा, किसी की दृष्टि शक्ति नष्ट हो जाती है तो किसी का जीवन। अनेक प्रकार की मानसिक कमजोरी, कैंसर, ज्वर इन सभी रोगों का मूल कारण विषैला वातावरण है।
समस्या का समाधान – वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए हमें पेड़ लगाना चाहिए और पेड़ों के काटने पर रोक लगाना चाहिए। कारखाने, मशीनें लगाने की अनुमति उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जो कचरे और मशीनों के धुएं को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था कर सके। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह परमाणु परीक्षणों को नियंत्रित करने की दशा में उचित कदम उठाएं। तेज ध्वनि वाले वाहनों पर साइलेंसर आवश्यक रूप से लगाएं जाने चाहिए। तथा सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकरो आदि के प्रयोग को नियंत्रित किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए औद्योगिक स्थानों में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि व्यर्थ पदार्थों एवं जल को उपचारित करके ही बाहर निकाला जाए तथा इनको जल स्रोत से मिलाने से रोका जाना चाहिए।