‘बहादुर’ कहानी
‘बहादुर’ कहानी
प्रश्न – ‘बहादुर’ कहानी के आधार पर ‘बहादुर’ का चरित्र चित्रण कीजिए
उत्तर – ‘बहादुर’ कहानी के आधार पर बहादुर का चरित्र चित्रण इस प्रकार है –
1. छल-कपट रहित भोला बालक — 12-13 वर्ष का नेपाली बालक बहादुर बहुत ही भोला है और छल – कपट से कोसों दूर है। उसमें न तो किसी प्रकार की कृत्रिमता या बनावटीपन है और न ही किसी बात को छिपाने की कला। वह किसी भी बात का बिलकुल सच एवं स्पष्ट उत्तर देता है।
2. परिश्रमी — बहादुर अत्यन्त परिश्रमी लड़का है । वह घर के सभी सदस्यों के अधिकांश कार्यों को करता है और उन्हें करते हुए न कोई आलस्य दिखाता है और न कोई अनमनापन। वह बड़े ही प्यार एवं जिम्मेदारी के साथ अपने कार्यों को सम्पन्न करता है।
3. हँसमुख एवं मृदुभाषी — बहादुर हर समय हँसते रहने वाला लड़का है । वह किसी भी बात को कहकर अपनी नैसर्गिक, स्वाभाविक हँसी जरूर हँसता है, जो सामने देखने – सुनने वालों के हृदय को झंकृत कर देती है । वह सभी लोगों के प्रश्नों का उत्तर बड़े ही मीठे स्वर में हँसकर देता है।
4. ईमानदार एवं सच्चा हृदय — गरीब होने के बावजूद भी बहादुर अत्यधिक ईमानदार बालक है, जिसे बेईमानी छू तक नहीं पाई है। उसके मन में कोई लालच नहीं है। घर में कहीं गिरे या पड़े पैसों को वह निर्मला के हाथों में रख देता है। वह घर छोड़कर जाते समय भी अपना सामान तक नहीं ले जाता है।
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5. सहनशील एवं स्वाभिमानी — बहादुर बड़ा ही सहनशील बालक है। वह घर के सारे काम करने के बावजूद निर्मला की डाँट खाता रहता है। किशोर द्वारा भी कई बार बदतमीज़ियाँ की जाती हैं, जिन्हें वह थोड़ी देर में ही भूल जाता है और अपने काम में लग जाता है। एक बार किशोर द्वारा उसके पिता से सम्बन्धित गाली देने पर उसका स्वाभिमान जाग जाता है। वह किशोर का काम करने से इनकार कर देता है।
6. मातृ – पितृभक्त बालक — बहादुर का हृदय मातृभक्ति एवं पितृभक्ति की भावना से ओत – प्रोत है । माँ द्वारा पीटे जाने के कारण घर से भागा बहादुर माँ के पास जाना नहीं चाहता , लेकिन माता – पिता के प्रति अपने फर्ज को वह अच्छी तरह समझता है । इसीलिए वह अपने कमाए पैसों को माँ को ही देना चाहता है । अपने पिता के प्रति प्रेम ने ही उसे किशोर का काम करने से मना करने हेतु प्रेरित किया।
7. व्यवहार कुशल — बहादुर बहुत व्यवहार कुशल बालक है। इसी व्यवहार कुशलता के कारण वह घर के सभी सदस्यों को अत्यधिक प्रभावित कर देता है। मोहल्ले के बच्चों को भी वह अपने गाने सुनाकर मोहित कर लेता है।
8. स्नेही बालक — वह निर्मला के अन्दर अपनी माँ की छवि देखता है। वह स्नेह का भूखा है। जब निर्मला उसका ध्यान रखती है, तो वह भी बीमार निर्मला का बहुत ध्यान रखता है। उसे निर्मला के स्वास्थ्य की बहुत चिन्ता है। इस प्रकार, बहादुर पाठकों के हृदय – पटल पर अपना अमिट चित्र अंकित कर देता है। पाठक उसे लम्बे समय तक याद रखते हैं।
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