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भ्रष्टाचार पर निबंध

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Written by Priya Patel

March 14, 2021

भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार का अर्थ – भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट एवं आचार । ‘भ्रष्ट’ का अर्थ है – बिगड़ा हुआ तथा ‘आचार’ का अर्थ है—आचरण या व्यवहार। इस प्रकार भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ – भ्रष्ट आचरण या बिगड़ा हुआ व्यवहार। समाज में विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों में कार्य कर रहे व्यक्तियों से जिस निष्ठा एवं ईमानदारी की अपेक्षा की जाती है, उसका न होना ही भ्रष्टाचार है। जैसे— घूस लेना, पक्षपात करना, सार्वजनिक धन एवं संपत्ति का दुरुपयोग करना तथा स्वेच्छानुसार किसी को भी नियम विरुद्ध लाभ या हानि पहुंचाना आदि भ्रष्टाचार कहलाते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण – भ्रष्टाचार की समस्या से छोटे-बड़े सरकारी तथा गैर – सरकारी सभी व्यक्ति पीड़ित हैं, इसलिए सरकारी संस्थागत एवं व्यक्तिगत स्तर पर इसके कारणों को जानने का प्रयास किया जाना चाहिए। उपभोग के साधनों के लिए अधिक से अधिक धन की आवश्यकता होती है, इसलिए किसी भी प्रकार धन एकत्रित करना ही मनुष्य का उद्देश्य होता गया। विद्यालय और परिवार अपने सदस्यों को नैतिकता सिखाने में असमर्थ हो गए। इसी कारण देश और समाज में भ्रष्ट वातावरण व्याप्त हो गया।

सरकारी न्याय तंत्र में शिथिलता – भ्रष्टाचार में लिप्त होने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचार करने से रोकने में या तो नीति ज्ञान सहायक होते हैं या समाज का दंड विधान। यह बात सही है कि जब मनुष्य की आत्मा उचित-अनुचित का निर्णय करने योग्य नहीं रहती तथा जब नीति के बंधन शिथिल हो जाते हैं, तब दंड की कठोरता का डर व्यक्ति को बुराइयों से रोकता है, लेकिन हमारी न्याय पद्धति में न्याय व्यवस्था इतनी शिथिल है कि अपराध का निर्णय बहुत देर से होता है।

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सरकारी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने में शक्तिशाली विपक्ष एवं सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि लोकतंत्र की स्थापना तो कर ली, किंतु अभी तक सशक्त एवं रचनात्मक विपक्ष की महत्ता को नहीं समझ पाए। यदि विपक्ष चाहे तो वह सरकार के मनमाने आचरण पर अंकुश लगा सकता है।

प्रशासन में भ्रष्टाचार – भारत में बहुदलीय लोकतन्त्रीय राज्यव्यवस्था है। अनेक राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दल हर बार चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं। उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रचुर साधनों एवं धन की आवश्यकता होती है। यह धन दलो को चंदे द्वारा प्राप्त होता है। चुनाव के लिए चंदा देकर बड़े-बड़े पूंजीपति किसी दल की सरकार बनने पर उससे अनुचित लाभ उठाते हैं। वे पर्याप्त धन चंदे में इसलिए देते हैं, ताकि चंदे में दी गई संपत्ति के बदले लाभ उठाया जा सके।

भ्रष्टाचार का समाधान – भ्रष्टाचार को दूर करना आसान काम नहीं है, परंतु इसे समाप्त नहीं किया गया तो हमारे देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। हमें इसे दूर करना ही होगा। भ्रष्टाचार जैसी समस्या के समाधान के लिए चुनाव पद्धति में सुधार लाना आवश्यक है। सफल लोकतंत्र नागरिकों की जागरुकता पर आश्रित होता है, इसलिए भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए नागरिकों में जागरूकता पैदा करना अत्यंत जरूरी है।

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आज हमारे समाज में भ्रष्टाचार एक रोग के रूप में व्याप्त है। जब तक सभी नागरिक और सभी दल निहित स्वार्थों और हितों से ऊपर उठकर इस पर विचार नहीं करेगे, तब तक भ्रष्टाचार जैसी समस्या से मुक्ति संभव नहीं है।

उपसंहार – यदि प्रशासन और जनता देश में भ्रष्टाचार रूपी दानव को मिटाने के लिए एकजुट होकर कार्य करें तो वह दिन दूर नहीं कि भारत भ्रष्टाचार— मुक्त देश बनकर जल्द ही विकासशील देशों की श्रेणी में आ खड़ा होगा। हमें मिलकर यह संकल्प लेना होगा कि हम अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएंगे ताकि हमारा देश फिर से सोने की चिड़िया कहलाए।

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Hi, I’m Priya Patel, founder of Knowledgebeem. I help Class 8-12 students learn English, Science, and Math easily. I also share model papers, board exam guides, and tips for UP Police, SSC, Railway, and BHU. Teaching in simple way is my motto!

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