मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
प्रश्न 1. भूगोल का जनक किसे माना जाता है ?
( a ) हिकेटियस ( b ) काण्ट
( c ) इरेटोस्थनीज ( d ) टॉलेमी
प्रश्न 2. मानव भूगोल में मानव तथा भौतिक पर्यावरण के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किस आधार पर किया जाता है ?
( a ) क्षेत्रीय आधार ( b ) अन्तः क्षेत्रीय आधार
( c ) प्रादेशिक आधार ( d ) क्रमिक आधार
प्रश्न 3. “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्ध का अध्ययन है ।“ मानव भूगोल की इस परिभाषा को निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने दिया है ?
( a ) रैटजेल ( b ) एलन सी . सेम्पुल
( c ) विडाल – डि – ला – ब्लाश ( d ) जीन्स बुन्स
प्रश्न 4. पर्यावरण और मानव की आर्थिक क्रियाओं के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन किसके अन्तर्गत किया जाता है ?
( a ) जनसंख्या भूगोल ( b ) आर्थिक भूगोल
( c ) पर्यावरण भूगोल ( d ) मानव भूगोल
प्रश्न 5. किस विचारधारा के अनुसार मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवनशैली पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं ?
( a ) सम्भववाद ( b ) प्रत्यक्षवाद
( c ) निश्चयवाद ( d ) नव – नियतिवाद
प्रश्न 6. निम्नलिखित में से पर्यावरणीय निश्चयवाद का प्रतिपादक कौन है ?
( a ) ई . सी . सेम्पुल ( b ) ग्रिफिथ टेलर
( c ) ओ . एच . के . स्पेट ( d ) ई . हण्टिंगटन कि
प्रश्न 7. मानव भूगोल की निम्न में से कौन – सी संकल्पना प्रकृति की सर्वोच्चता में विश्वास करती है ?
( a ) पर्यावरणीय निश्चयवाद ( b ) सम्भववाद
( c ) नव – निश्चयवाद ( d ) प्रत्यक्षवाद
प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किसे सम्भववाद का जनक कहा जाता है ?
( a ) ई.सी. सेम्पल ( b ) डी.स्टाम्प
( c ) जी . टेलर कि ( d ) विडाल – डी – ला – ब्लाश हरिमता
प्रश्न 9. निम्नलिखित में से कौन – सी एक विचारधारा पर्यावरण और मानव क्रिया के मध्य समन्वय पर आधारित है ?
( a ) नव – सम्भववाद ( b ) नव – निश्चयवाद
( c ) नियतिवाद ( d ) प्रत्यक्षवाद
प्रश्न 10. निम्नलिखित विद्वानों में से किसने नवनिश्चयवाद की संकल्पना प्रस्तुत की?
(a) ई. सी. सेम्पुल ( b ) जीन एकल
( c ) ग्रिफिथ टेलर ( d ) विडाल डी – ला- ब्लाश
प्रश्न 11. नव – निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद विचारधारा का प्रतिपादन किसने किया था ?
( a ) जी . टेलर ( b ) ई.सी. सेम्पल
( c ) फेने ( d ) डडले क्टॉम्प
प्रश्न 12. आमूलवादी विचारधारा का सम्बन्ध निम्नलिखित में से किससे है ?
( a ) पर्यावरणीय असमानता ( b ) आर्थिक असमानता
( c ) सामाजिक असमानता ( d ) सांस्कृतिक असमानता
प्रश्न 13. आरम्भिक उपनिवेश युग में मानव भूगोल की अवस्था के क्रमिक विकास का उपागम था
( a ) प्रादेशिक विश्लेषण ( b ) क्षेत्रीय विभेदक
( c ) अन्वेषण ( d ) अन्वेषण और विवरण
प्रश्न 14. निम्न में किसे मानव को प्रकृति के अनुरूप स्वयं को ढाल लेने की प्रक्रिया कहा जाता है ?
( a ) अनुग्रहण प्रक्रिया ( b ) प्रकृतिकरण प्रक्रिया
( c ) पुनरावृत्तिकरण प्रकिया ( d ) अनुसरण प्रक्रिया
15. निम्नलिखित कथनों में से कौन – सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता ?
( a ) समाकलनात्मक अनुशासन ( b ) मानव और पर्यावरण के बीच अन्तर सम्बन्धों का अध्ययन
( c ) द्वैैैैधता पर आश्रित ( d ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं
प्रश्न 16. निम्नलिखित में से कौन – सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है ?
( a ) यात्रियों का विवरण ( b ) प्राचीन मानचित्र
( c ) चन्द्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने ( d ) प्राचीन महाकाव्य
17. निम्नलिखित में से कौन – सा एक कारक मानवता और पर्यावरण के बीच अन्योन्य क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है ?
( a ) मानव बुद्धिमत्ता ( b ) प्रौद्योगिकी
( c ) लोगों के अनुभव ( d ) मानवीय भाईचारा
प्रश्न 18. निम्नलिखित में से कौन – सा एक मानव भूगोल का उपागम नहीं है ?
( a ) क्षेत्रीय विभिन्नता ( b ) मात्रात्मक क्रान्ति
( c ) स्थानिक संगठन ( d ) अन्वेषण और वर्णन
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
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प्रश्न 1. मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर – मनुष्य और भौतिक पर्यावरण के मध्य मानवीय अन्तर सम्बन्धों का प्रश्न अध्ययन करने वाला भूगोल , मानव भूगोल कहलाता है । मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण से प्रभावित होने के कारण इसमें सभी मानव पोषित तत्त्वों का अध्ययन होता है ।
प्रश्न 2. एक विषय के रूप में भूगोल का सरोकार किससे है ?
उत्तर – एक विषय के रूप में भूगोल का सरोकार पृथ्वी को मानव के घर के रूप में समझना तथा उन सभी तत्त्वों का अध्ययन करना है , जिन्होंने मानव को पोषित किया है ।
प्रश्न 3. मानव भूगोल की प्रकृति कैसी है ?
उत्तर – मानव भूगोल की प्रकृति अन्तर – विषयक है । मानव भूगोल भौतिक वातावरण और मनुष्य द्वारा निर्मित सामाजिक – सांस्कृतिक पर्यावरण के मध्य के सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया के द्वारा करता है ।
प्रश्न 4. मानव भूगोल के सम्बन्ध में सेम्पुल ने प्रमुख रूप से किन बातों पर जाकर बल दिया है ?
उत्तर – मानव भूगोल के सम्बन्ध में सेम्पुल ने अस्थिर पृथ्वी तथा क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों के अध्ययन पर बल दिया है ।
प्रश्न 5. कृषि भूगोल के अन्तर्गत किसका अध्ययन किया जाता है ?
उत्तर – कृषि भूगोल के अन्तर्गत कृषि सम्बन्धित गतिविधियों ; जैसे – फसलों का उत्पादन , पशुपालन , फसल चक्र शस्य गहनता , जलसंसाधन आदि का व्यापक अध्ययन किया जाता है ।
प्रश्न 6. सांस्कृतिक पर्यावरण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर – सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्गत मानव के सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है ; जैसे – मानव का रहन – सहन , खान – पान , भाषा , धर्म , रीति – रिवाज आदि । इसका अध्ययन भी मानव भूगोल का अध्ययन होता है ।
प्रश्न 7. आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत किनके सम्बन्धों का अध्ययन होता है ?
उत्तर – आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत पर्यावरण और मानव की आर्थिक क्रियाओं के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है । विपणन , संसाधन , पर्यटन , राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अध्ययन आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है ।
प्रश्न 8. पर्यावरणीय निश्चयवाद में किस शक्ति की प्रधानता है ?
उत्तर – पर्यावरणीय निश्चयवाद में प्रकृति की शक्ति की मुख्य प्रधानता होती है । कै इसके अनुसार प्रकृति मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलाप को नियन्त्रित करती है ।
प्रश्न 9. कौन – कौन से भौतिक कारक मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवन – शैली को नियन्त्रित करते हैं ?
उत्तर -जलवायु , उच्चावच , प्राकृतिक वनस्पति ऐसे भौतिक कारक हैं , जो मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवन शैली को नियन्त्रित करते हैं ।
प्रश्न 10. सम्भववाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – मानव द्वारा पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों को विभिन्न सम्भावनाओं में बदलना सम्भववाद कहलाता है , इसके जनक विडाल – डी – ला – ब्लाश हैं ।
प्रश्न 11. प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार सम्भववाद को जन्म दिया ?
उत्तर – प्रौद्योगिकी ने प्राकृतिक संसाधनों के विषय में समझ पैदा कर एवं विभिन्न सम्भावनाओं को जन्म देकर सम्भववाद को जन्म दिया ।
प्रश्न 12. सम्भववाद में किसकी प्रधानता अधिक होती है ?
उत्तर -सम्भववाद में मानव शक्ति की प्रधानता अधिक होती है । इसके अनुसार मानव शक्ति प्रदत्त संसाधनों का इच्छानुसार प्रयोग कर सकती है ।
प्रश्न 13. नव – निश्चयवाद किस अवधारणा पर आधारित है ?
उत्तर – जी.टेलर द्वारा प्रतिपादित नव – निश्चयवाद पर्यावरण और मानव क्रिया के बीच समन्वय पर आधारित अवधारणा
है ।
प्रश्न 14. मानव भूगोल के अन्तर्गत तीन नए विचारों पर उदय कब हुआ और उन विचारधाराओं का नाम बताएँ ?
उत्तर – मानव भूगोल के अन्तर्गत 1970 के दशक में मानवतावादी , आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधारा का उदय हुआ ।
प्रश्न 15. प्रकृति का मानवीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – मानव द्वारा प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके प्रकृति को अपने अनुसार ढाल लेना प्रकृति का मानवीकरण कहलाता
है ।
प्रश्न 16. भूगोल का भू – विज्ञान से क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर – भू – विज्ञान एवं भूगोल की शाखा के मध्य एक अन्तर्सम्बन्ध है । भूमिगत जल की स्थिति , जल स्रोतों आदि का अध्ययन भी दोनों ही विषयों में किया जाता है । भू – विज्ञान में भूगर्भ से सम्बन्धित विषयों का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है , जबकि भूगोल में उनका संक्षिप्त रूप में मानवोपयोगी दृष्टि से अध्ययन किया जाता है,
प्रश्न 17. भूगोल का वनस्पति विज्ञान से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – भूगोल में वनस्पतियों तथा घास के मैदानों का अध्ययन किया जाता है । ऐसा ही वनस्पति विज्ञान में भी होता है । भूगोल में जहाँ वनस्पतियों का अध्ययन प्राकृतिक संसाधन के रूप में होता है , वहीं वनस्पति विज्ञान में उनकी वैज्ञानिक संरचना तथा पर्यावरणीय उपस्थिति का अध्ययन किया जाता है ।
प्रश्न 18. भूगोल एवं राजनीतिशास्त्र में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर – राजनीतिशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में राज्यक्षेत्र , जनसंख्या , प्रभुसत्ता आदि का विश्लेषण किया जाता है , जबकि भूगोल के उपक्षेत्र राजनीतिक भूगोल में भी एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में राज्य तथा उसकी जनसंख्या के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन होता है ।
प्रश्न 19. भूगोल का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – अर्थशास्त्र के अन्तर्गत मानव की आर्थिक क्रियाओं एवं संसाधनों के विकास द्वारा मानव समाज के विकास का अध्ययन किया जाता है । भूगोल के अन्तर्गत पृथ्वी एवं मानव के अन्तर्सम्बन्धों , जिसमें मानव की आर्थिक क्रियाएँ व संसाधन भी शामिल हैं , का अध्ययन किया जाता है ।
प्रश्न 20. मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्धित है ?
उत्तर – मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अन्तर्विषयक है , क्योंकि इसमें मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है । अत : इसका सामाजिक विज्ञानों से गहरा सम्बन्ध है ; जैसे – मानव विज्ञान , राजनीतिक विज्ञान , अर्थशास्त्र , समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान इत्यादि ।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मानव भूगोल का उदय कब तथा कैसे हुआ ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – मानव भूगोल का उदय तब से माना जाता है , जब से मानव ने पर्यावरण में छेड़छाड़ या हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया था , यद्यपि इसे स्पष्ट करने वाले उपागमों में समय के साथ परिवर्तन आया है , जोकि विषय की परिवर्तनशील प्रवृत्ति को दर्शाता है । 15 वीं सदी के अन्त में यूरोप में अन्वेषणों के प्रयास हुए एवं विभिन्न प्रकार कार की कुशलताएँ विकसित हुई , जिससे औपनिवेशिक काल में इसे और गति मिली तथा मानव का संसाधनों तक पहुँचना आसान हुआ । इसके साथ ही संसाधनों के दोहन की नई तकनीकें विकसित हुईं । इन सबके द्वारा मानव भूगोल के क्रमिक विकास की जानकारी मिलती है ।
प्रश्न 2. मानव भूगोल की प्रकृति से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – मानव भूगोल की प्रकृति से हमारा तात्पर्य यह है कि यह मानव भूगोल , भौतिक वातावरण और मनुष्य द्वारा निर्मित सामाजिक – सांस्कृतिक पर्यावरण के मध्य के सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया के द्वारा होता है । मानव भौतिक ( प्रकृति ) पर्यावरण द्वारा प्रदान किए गए संसाधनों ; जैसे – भू – आकृति , मृदाएँ , जलवायु आदि का उपयोग कर भौतिक वस्तुओं का निर्माण करते हैं ; जैसे – घर , गाँव , सड़क , नगर , उद्योग , रेलों का जाल , आदि । इसमें मानव तथा प्रकृति दोनों एक – दूसरे को प्रभावित करते हैं । अत : मानव भूगोल की प्रकृति अन्तर – विषयक यह मानवीय घटना के स्थानिक वितरण का भी अध्ययन करता है । यह विश्व की विभिन्न सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं के अध्ययन में नियमित रूप से सहायता करता है ।
पोषण एवं संतुलित आहार
प्रश्न 4. 1970 के दशक में मानव भूगोल की विचारधाराओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – 1960 के दशक के अन्त में , मात्रात्मक क्रान्ति से उत्पन्न असन्तुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के कारण तीन नई विचारधाराओं मानवतावादी , आमूलवादी और व्यवहारवादी का जन्म हुआ । मानवतावादी विचारधारा को कल्याणपरक भी कहा जाता है । यह सामाजिक कल्याण के अनेक पक्षों ( आवास , शिक्षा , स्वास्थ्य ) से सम्बन्धित है , आमूलवादी विचारधारा का सम्बन्ध सामाजिक असमानता से है , इसमें मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया जाता है तथा व्यवहारवादी विचारधारा , मानव धर्म एवं प्रजाति पर आधारित सामाजिक वर्गों पर बल देती है ।
प्रश्न 5. मानव के प्रकृतीकरण की व्याख्या कीजिए । अथवा मानव के प्रकृतीकरण की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – मानव के प्रकृतीकरण से तात्पर्य मानव के प्रकृति के अनुसार स्वयं को ढालने से है । आदिम काल में प्रौद्योगिकी का स्तर निम्न होने के कारण मानव ने प्रकृति के आदेशों के अनुसार स्वयं को ढाल लिया , क्योंकि वह उस समय प्राकृतिक शक्तियों से डरता था और उनकी पूजा करता था । आरम्भिक समय में मानव की सामाजिक विकास की अवस्था भी निम्न थी । धीरे – धीरे समय के साथ लोग अपने पर्यावरण एवं प्राकृतिक बलों को समझने लगे और अपने ज्ञान के आधार पर तकनीकी कौशल विकसित करने में सफल हुए । इस प्रकार मानव ने प्राकृतिक संसाधनों को अवसर के रूप में प्राप्त कर अपनी सामाजिक , सांस्कृतिक तथा आर्थिक क्रियाओं का विकास किया । इसमें मानव तथा प्रकृति के बीच पूर्णतः सामंजस्य पाया गया । अत : प्रकृति पर पूर्णत : निर्भरता से मानव के प्रकृतीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई । यह प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के विकास के पश्चात् भी प्रासंगिक है ।
प्रश्न 6. प्रकृति के मानवीकरण की संकल्पना क्या है ?
उत्तर – मानव द्वारा प्रकृति के रहस्यों को जानने के पश्चात् प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके प्रकृति को अपने अनुसार ढाल लेना ही प्रकृति का मानवीकरण कहलाता है । उदाहरणस्वरूप डी . एन . ए . एवं आनुवंशिकी के ज्ञान के पश्चात ही मानव द्वारा विभिन्न बीमारियों का पता लगाना सम्भव हुआ है । प्रौद्योगिकी किसी समाज के शैक्षिक विकास के स्तर की सूचक होती है । मानव प्रकृति के नियमों को उचित रूप से समझने के बाद ही ऐसी प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया है । मानवीकरण का परिणाम है , कि मानव भूमि पर स्वास्थ्य विश्रामालय , श्वेत फलोद्यान , चरागाहें , उपग्रह आदि का निर्माण कर पाया है । प्रकृति के मानवीकरण को ही पहले के विद्वानों ने सम्भववाद का नाम दिया है |
Class 12 हिंदी गद्य के विकास पर आधारित प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए
उत्तर – पृथ्वी पर पाए जाने वाले मानवीय तत्त्वों को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल के विभिन्न सहयोगी विषय क्षेत्रों का अध्ययन भी आवश्यक है , जिनकी व्याख्या निम्न प्रकार है
1. सामाजिक भूगोल – इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से व्यवहारवाद , सामाजिक कल्याण , सांस्कृतिक , ऐतिहासिक तथा चिकित्सा जैसे उप – क्षेत्रों को शामिल किया जाता है , जो क्रमशः समाजशास्त्र , मनोविज्ञान , कल्याण अर्थशास्त्र , मानव विज्ञान , इतिहास तथा अन्य विज्ञान से सम्बन्धित विषयों के साथ सम्बन्धित होते हैं , जिनके माध्यम से मानव के विभिन्न उपागमों का अध्ययन किया जाता है ।
2. राजनीतिक भूगोल – इसके अन्तर्गत मानव की राजनीतिक – सामाजिक स्थिति का अवलोकन किया जाता है , जिससे मानव की राजनीतिक स्थिति को समझने में सहायता मिलती है । यह अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययनों में भी सहायक होता है ।
3. नगरीय एवं आवास भूगोल – मानव भूगोल के इस विषय के अन्तर्गत नगरों की स्थिति तथा नगरों के नियोजन से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है , जिसका आधुनिक नगरीय नियोजन में महत्त्व बढ़ गया है । आवास भूगोल के अन्तर्गत नगर / ग्रामीण नियोजन का अध्ययन किया जाता है ।
4. जनसंख्या भूगोल – जनसंख्या भूगोल , मानव भूगोल का एक महत्त्वपूर्ण विषय क्षेत्र है , जिसमें जनसंख्या तथा उसका वितरण , घनत्व , आयु , लिंग , जन्म – दर , मृत्यु – दर , साक्षरता आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन किया जाता है ।
5.आर्थिक भूगोल – यह मानव भूगोल के अन्तर्गत वृहत अध्ययन क्षेत्र होता है , जिसके अन्तर्गत संसाधन , कृषि , उद्योग , विपणन , पर्यटन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे उप – क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है । इसमें सहयोगी विज्ञान विषय को शामिल कर इसका विश्लेषण बड़े स्तर पर किया जाता है । यह अध्ययन देश की आर्थिक स्थिति को समझने में भी सहायता करता है । अत : इसका अधिक महत्त्व है ।
प्रश्न 2. मानव भूगोल की प्रकृति ( स्वभाव ) एवं विषय क्षेत्र की विवेचना कीजिए ।
अथवा मानव भूगोल के अर्थ एवं विषय क्षेत्र का वर्णन कीजिए |
अथवा मानव भूगोल के प्रमुख उपक्षेत्रों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- मानव तथा भौतिक पर्यावरण के मध्य मानवीय सम्बन्धों का अध्ययन करने वाला भूगोल मानव भूगोल कहलाता है । मानव भूगोल की प्रकृति से तात्पर्य है , कि मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानवजनित सामाजिक – सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया द्वारा करता है । इस प्रकार मानव भूगोल की प्रकृति ( स्वभाव ) अन्तर विषयक पाई जाती है । यह मानवीय घटना के स्थानिक वितरण का भी अध्ययन करता है । यह विभिन्न सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं के अध्ययन में भी सहायता करता है । मानव प्रकृति पर्यावरण के तत्त्वों के साथ सामंजस्य कर सड़कों का जाल , पत्तन , खेत अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं का निर्माण करता है । इस प्रकार से परस्पर क्रिया से मानव जीवन प्रभावित होता है । पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले मानवीय तत्त्वों को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध विकसित करता है । अतः ऐसे प्रमुख विषयों व उप क्षेत्रों का वर्णन इस प्रकार है
• सामाजिक भूगोल – इसके अन्तर्गत व्यवहारवादी भूगोल , सामाजिक भूगोल , सांस्कृतिक भूगोल , लिंग भूगोल , ऐतिहासिक भूगोल तथा चिकित्सा भूगोल जैसे उप क्षेत्रों को शामिल किया जाता है , जो क्रमश : समाजशास्त्र मनोविज्ञान , कल्याण अर्थशास्त्र , मानव विज्ञान , इतिहास तथा महामारी विज्ञान जैसे विषयों के साथ सम्बन्धित होते हैं । यह मानव के विभिन्न आयामों के अध्ययन से सम्बन्धित हैं ।
• राजनीतिक भूगोल – इसके उपक्षेत्र में निवार्चन भूगोल , सैन्य भूगोल को शामिल किया जाता है । यह राजनीतिक विज्ञान , सैन्य विज्ञान विषयों से सम्बन्धित हैं । इसमें राजनीतिक स्थिति के साथ अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययनों में सहायक होता है ।
नगरीय एवं आवास भूगोल इसके विषय के तहत नगरों की स्थिति , नगरों का नियोजन से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन किया जाता है ।
• जनसंख्या भूगोल – यह जनांकिकी से सम्बद्ध पाया जाता है , जो मानव भूगोल का महत्त्वपूर्ण विषय क्षेत्र है । इसके तहत जनसंख्या का वितरण , घनत्व , आयु , लिंग , जन्म – दर , मृत्यु – दर आदि का अध्ययन किया जाता है ।
आर्थिक भूगोल – इसके तहत संसाधन भूगोल , कृषि भूगोल उद्योग एवं विपणन भूगोल , पर्यटन भूगोल तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे उप क्षेत्रों को शामिल किया जाता है , जो संसाधन अर्थशास्त्र , कृषि विज्ञान , औद्योगिक अर्थशास्त्र , पर्यटन एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे विषयों से सम्बन्धित होते हैं । यह देश की आर्थिक स्थिति समझाने में सहायक होता है ।
प्रश्न 3. मानव का प्रकृतीकरण और प्रकृति का मानवीकरण का उल्लेख कीजिए ।
अथवा मानव एवं वातावरण के सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मानव के प्रकृतीकरण से तात्पर्य मानव को प्रकृति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने से है । आदिम काल में प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यन्त निम्न होने के कारण मानव ने प्रकृति के आदेशों के अनुसार ही स्वयं को ढाल लिया था , क्योंकि उस समय मानव प्रकृति को भली भाँति नहीं समझता था । वह प्रकृति को सुनता था उसकी प्रचण्डता ( बादलों की गर्जन , तड़ित झंझा , बिजली चमकना ) से डरता था और साथ ही वह प्रकृति की पूजा भी करता था।
मानव द्वारा प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके प्रकृति को अपने अनुसार ढाल लेना प्रकृति का मानवीकरण कहलाता है । इस दौर में मानव ने प्रकृति के रहस्यों को जानने के बाद ही तरह – तरह की वस्तुओं का निर्माण करना प्रारम्भ कर दिया । जैसे डी.एन.ए. एवं आनुवंशिकी के ज्ञान से मानव ने विभिन्न बीमारियों का पता लगाया । परिवहन – साधनों का व्यापक स्तर पर विकास हुआ इससे लम्बी दूरियों को तय करना आसान हो गया ।
अत : प्रौद्योगिकी ज्ञान की सहायता से एवं प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक वस्तुओं का निर्माण होने से ही प्रकृति का मानवीकरण होता है । प्रौद्योगिकी किसी समाज के शैक्षिक विकास के स्तर की सूची होती है । मानव प्रकृति के नियमों को उचित रूप से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी विकास कर पाया है ।
प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने हेतु महत्त्वपूर्ण होता है , साथ ही प्रौद्योगिकी मनुष्य पर प्रकृति की बन्दिशों को कम करने में सहायता करती है । जैसे घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में सहायता की है , प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से अनेक बीमारियों पर विजय प्राप्त हुई है तथा प्रकृति और प्रौद्योगिकी के ज्ञान से ही अधिक तीव्र गति से चलने वाले वाहन विकसित किए गए ।