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‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य

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Written by Priya Patel

August 14, 2022

‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य के आधार पर नायिका द्रौपति के चरित्र की विशेषताएं बताइए

 'सत्य की जीत' खंडकाव्य के आधार पर नायिका द्रौपति के चरित्र की विशेषताएं बताइए

प्रश्न – ‘सत्य की जीत’ खंडकाव्य के आधार पर नायिका द्रौपति के चरित्र की विशेषताएं बताइए।

उत्तर – द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी कृत खण्डकाव्य ‘सत्य की जीत ‘ की नायिका द्रौपदी है। कवि ने उसे महाभारत की द्रौपदी के समान सुकुमार, निरीह रूप में प्रस्तुत न करके आत्मसम्मान से युक्त, ओजस्वी, सशक्त एवं वीरांगना के रूप में चित्रित किया है । द्रौपदी की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

1. स्वाभिमानिनी— द्रौपदी स्वाभिमानिनी है। वह अपमान सहन नहीं कर सकती। वह अपना अपमान नारी जाति का अपमान समझती है। वह नारी के स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने वाली किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकती। ‘ सत्य की जीत ‘ की द्रौपदी ‘ महाभारत ‘ की द्रौपदी से बिल्कुल अलग है। वह असहाय और अबला नहीं है । वह अन्यायी और अधर्मी पुरुषों से संघर्ष करने वाली हैं।

2. निर्भीक एवं साहसी— द्रौपदी निर्भीक एवं साहसी है। दुःशासन द्रौपदी के बाल खींचकर भरी सभा में ले आता है और उसे अपमानित करना चाहता है। तब द्रौपदी बड़े साहस एवं निर्भीकता के साथ दुःशासन को निर्लज्ज और पापी कहकर पुकारती।

3. विवेकशील— द्रौपदी पुरुष के पीछे–पीछे आँखें बन्द करके चलने वाली नारी नहीं है वरन् विवेक से काम लेने वाली है। वह भरी सभा में यह सिद्ध कर देती है कि जो व्यक्ति स्वयं को हार गया हो, उसे अपनी पत्नी को दाँव पर लगाने का अधिकार ही नहीं है। अतः वह कौरवों द्वारा विजित नहीं है।

4. सत्यनिष्ठ एवं न्यायप्रिय— द्रौपदी सत्यनिष्ठ है, साथ ही न्यायप्रिय भी है। वह अपने प्राण देकर भी सत्य और न्याय का पालन करना चाहती है।

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5. वीरांगना— द्रौपदी विवश होकर पुरुष को क्षमा कर देने वाली असहाय और अबला नारी नहीं है। वह चुनौती देकर दण्ड देने को कटिबद्ध वीरांगना है।

6. नारी जाति का आदर्श — द्रौपदी सम्पूर्ण नारी जाति के लिए एक आदर्श है। दुःशासन नारी को वासना एवं भोग की वस्तु कहता है, तो वह बताती है कि नारी वह शक्ति है, जो विशाल चट्टान को भी हिला देती है। पापियों के नाश के लिए वह भैरवी भी बन सकती है।

7. नारी की शक्ति —द्रौपदी नारी की शक्ति सम्पन्नता को स्वीकारती है। वह कहीं भी नारी को पुरुष से पीछे नहीं पाती। वह पुरुष की भाँति नारी के समान अधिकार और समान शक्ति की घोषणा करती है।

8. न्याय और सत्य के प्रति पूर्ण निष्ठा — द्रौपदी सत्य और न्याय पर अटूट विश्वास रखती है। सत्य की अपराजेय आत्मिक शक्ति से वह ओत-प्रोत है। 

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