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A Letter to God Hindi Explanation

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Written by Priya Patel

September 5, 2021

A Letter to God Hindi Explanation

A Letter to God Hindi Explanation

A Letter to God Hindi Explanation

The house ……….. north-east.

एक घर – जो पूरी घाटी में एक ही था– निचली पहाड़ी की चोटी पर था।उस पर से व्यक्ति नदी और पके हुए अनाज के खेतों को देख सकता था, जो ऐसे स्कूलों से ढके थे जो हमेशा अच्छी फसल की आशा बांधते थे। जमीन को जरूरत थी तो तेज वर्षा अथवा धीमी वर्षा की। पूरी सुबह लैंचो जो भली-भांति अपने खेतों को जानता था– ने सिवाय उत्तर-पूर्व आकाश की ओर देखने के और कुछ नहीं किया।

Now we’re ……….. are fives. 

अब हमें वास्तव में ही कुछ पानी प्राप्त होगा , वह औरत जो रात का खाना तैयार कर रही थी , ने जवाब दिया , “ हाँ , परमात्मा ने चाहा तो । ‘ बड़ी उम्र के लड़के खेत में काम कर रहे थे , जबकि छोटे अपने घर के समीप खेल रहे थे तब उस औरत ने उन सबको नहीं बुलाया “ खाने के लिए आ जाओ । ” खाने के समय , बिल्कुल जैसे ही लैंचो ने भविष्यवाणी की थी , वर्षा की बड़ी – बड़ी बूंदों का गिरना शुरू हो गया । उत्तर – पूर्व दिशा में बादलों के विशाल पर्वत आते हुए देखे जा सकते थे । हवा ताजी और मधुर थी । वह व्यक्ति अपने शरीर पर वर्षा के आनन्द का अनुभव करने के लिए बाहर गया , और जब वह वापस लौटा तो उसने एकदम कहा , “ये आकाश से गिरती हुई पानी की बूंदे नहीं हैं , ये नए सिक्के हैं।” वर्षा की बड़ी बूंदे दस सेंट तथा छोटी बूंदे पाँच सेंट के सिक्के हैं ।

With a satisfied ………… this year. 

संतुष्टि के भाव से उसने पके अनाज के अपने खेतों को देखा तो वे वर्षा के पानी से भरे हुए थे । लेकिन अचानक तेज हवा प्रारम्भ हुई और वर्षा के साथ बहुत बड़े – बड़े ओले पड़ने लगे । ये वास्तव में चाँदी के नये सिक्कों के समान लगते थे । लड़के उन जमे हुए मोतियों को इकट्ठा करने हेतु दौड़ने लगे । “ यह तो सच में बुरा हो रहा है । ” लेन्चो बोला , ” मुझे आशा है कि ओले पड़ने शीघ्र ही बंद हो जायेंगे ।” लेकिन ओले जल्दी बंद नहीं हुए । एक घंटे तक घर , बाग , पहाड़ी , अनाज के खेतों एवं पूरी घाटी में ओले गिरते रहे । पूरा खेत सफेद रंग का हो गया , जैसे कि नमक से ढक दिया हो । वृक्षों पर पत्ते नहीं रहे थे । अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया । पौधों से फूल गिर गये । लेन्चो की आत्मा दुःख से भर गयी । जब तूफान रुकाः वह अपने खेतों में खड़ा हो गया और अपने बेटों से कहा , ” टिड्डियों के दल के हमले के बाद इससे अधिक बच गया होता । ओलों ने कुछ नहीं छोड़ा । इस साल हमको अनाज नहीं मिलेगा । “वह रात बहुत दु : खद थी ।” हमारे परिश्रम का कोई लाभ नहीं हुआ । यहाँ ऐसा कोई नहीं जो हमारी सहायता कर सके । “इस साल हमें भूखा रहना पड़ेगा ।”

But in ……… with God! 

लेकिन उस घाटी के मध्य में उस एकान्त मकान में रहने वालों के सभी दिलों में केवल मात्र एक आशा थी, परमात्मा से आशा । “इतना अधिक मत घबराओ, यद्यपि यह एक पूर्ण विनाश की भांति प्रतीत होता है । याद रखो , कि भूख से कोई नहीं मरता । “लोग यही बात कहते हैं कोई भूख से नहीं मरता।” सारी रात भर लैंचो अपनी एक आशा के बारे में ही सोचता रहा। परमात्मा की सहायता की आशा, जिसकी दृष्टि, जो कि व्यक्ति की अंतआत्मा की भाँति सर्वत्र रहती है । लैंचो खेतों में बैल की भांति सख्त मेहनत किया करता था, लेकिन फिर भी वह लिखना जानता था। अगले रविवार को, सुबह सवेरे, उसने एक पत्र लिखना शुरू किया जिसे वह स्वयं कस्बे में लेकर गया और इसे डाक में डाल दिया। वह परमात्मा को लिखे गए पत्र से कम कुछ भी नहीं था। ” भगवान् , ” उसने लिखा , “ यदि आपने मेरी मदद नहीं की , तो मैं और मेरा परिवार भूखों मर जायेगा । मुझे अपने खेत में पुन : बीज बोने के लिए एवं अगली फसल के आने तक काम चलाने के लिए सौ पीसोज चाहिए क्योंकि ओलों के तूफान …। ” लिफाफे पर उसने अंकित किया , “ भगवान को , ” चिट्ठी को लिफाफे में डाला, दु : खी मन से शहर चला गया । डाकघर पहुँचकर उसने लिफाफे पर टिकट लगाई और उसे पत्र – पेटिका में डाल दिया । एक कर्मचारी जो डाकिया था और डाकखाने के काम में सहायता करता था , हँसता हुआ अपने बॉस के पास गया और उसे भगवान के नाम वाली चिट्ठी दिखाई । अपनी पूरी नौकरी में उसने कभी ऐसा पता नहीं देखा था । डाकपाल – एक मोटा , खुशमिजाज व्यक्ति वह हँसने लगा, लेकिन शीघ्र – ही वह गंभीर हो गया और चिट्ठी को अपनी मेज पर थपथपाते हुए बोला , ” कितना अटूट विश्वास है । काश मुझमें भी उस व्यक्ति जैसा विश्वास होता, जिसने वह चिट्ठी लिखी है जो भगवान से पत्राचार कर रहा है ।”

So in order ……. signature : God. 

इसलिए पत्र लेखक का परमात्मा पर विश्वास न डगमगा जाए , पोस्टमास्टर के दिमाग में एक विचार आया कि उस पत्र का उत्तर दिया जाय । लेकिन जब उसने पत्र को खोला , यह स्पष्ट हो गया कि इस पत्र में उत्तर देने के लिए नेक भावना से अधिक कुछ अन्य चीज की जरूरत थी । लेकिन वह अपने निश्चय पर अडिग रहा ; उसने अपने कर्मचारियों से पैसे देने के लिए कहा , उसने स्वयं ने भी कुछ तनख्वाह का अंश दिया और उसके अनेकों दोस्तों ने भी ‘ इस नेक दानशीलता के कार्य में कुछ न कुछ दिया । ‘ उसके लिए एक सौ पेसोस का धन एकत्रित करना असम्भव था , इसलिए वह उस किसान को आधे से थोड़ा ज्यादा धन ही भेजने योग्य हो पाया । उसने धन को एक लिफाफे में रखा और लिफाफे पर लैंचो का पता लिखा और धन के साथ एक पत्र भी उसने डाल दिया । जिस पर केवल एक शब्द हस्ताक्षर के रूप में लिखा गया था : परमात्मा।

The following …….. crooks. Lencho.

अगले रविवार के दिन लेन्चो यह पूछने कि उनका कोई पत्र आया या नहीं , कुछ समय पहले ही आ गया । डाकिए ने खुद उसे वह पत्र दिया , जबकि डाकपाल एक संतुष्ट व्यक्ति की भाँति जिसने कोई अच्छा काम किया हो , ऑफिस के दरवाजे से देख रहा था । धन देखकर लेन्चो को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ ; उसका विश्वास अटूट था लेकिन पैसे गिनने पर वह नाराज हुआ । भगवान के द्वारा गलती नहीं हो सकती और न ही जो लेन्चो ने माँगा था , उसे देने से इंकार कर सकता था । तुरंत , लेन्चो कागज और स्याही माँगने हेतु खिड़की पर गया । लोगों के लिए लिखने वाली मेज पर बैठकर वह चिट्ठी लिखने लगा , स्वयं के विचार करने हेतु उसे प्रयास करना पड़ा । इस कारण उसका माथा सिकुड़ रहा था । जब उसने चिट्ठी लिखना समाप्त किया , वह टिकट खरीदने खिड़की पर गया और थूक लगाकर इसे चिपका दिया । जैसे ही उसने पत्र डाक में डाला डाकपाल उसे खोलने चला गया । पत्र में उसने लिखा था , ” प्रभु ! आपने केवल सत्तर पीसोस भेजे , जबकि मैंने तो सौ पीसोस माँगे थे । कृपाकर शेष धन शीघ्र भेजें , मुझे सख्त जरूरत है । परंतु इस बार आप डाक से न भेजें , ये डाकघर के लोग बड़े बेईमान हैं । लेन्चो ” ।

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