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सत्ता की साझेदारी

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सत्ता की साझेदारी

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1. बेल्जियम की राजधानी क्या है ?
( क ) ब्रूसेल्स  ( ख ) ब्राजील
( ग ) बैंकाक  ( घ ) न्यूयॉर्क

प्रश्न 2. बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है ?
( क ) सामूहिक सरकार ( ख ) सामुदायिक सरकार
( ग ) राजतंत्र ( घ ) एकपक्षीय सरकार

प्रश्न 3. श्रीलंका एक……….देश है ।
( क ) प्रायद्वीपीय ( ख ) द्वीपीय
( ग ) सीमान्त ( घ ) प्रांतीय

प्रश्न 4. श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र कब घोषित हुआ ?
( क ) 1947 में ( ख ) 1950 में
( ग ) 1948 में ( घ ) 1945 में

प्रश्न 5. श्रीलंका ने 1956 में किस भाषा को कानून बनाकर एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया ?
( क ) सिंहली ( ख ) तमिल
( ग ) बंगाली ( घ ) पंजाबी

प्रश्न 6. देश की अखण्डता तथा एकता के लिए क्या आवश्यक है ?
( क ) सत्ता की साझेदारी ( ख ) सत्ता का विभाजन
( ग ) राजतंत्र ( घ ) इनमें से कोई नहीं

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 1956 में श्रीलंका में एक कानून बनाया गया । इस कानून के त तमिल लोगों के साथ किस तरह का भेदभाव किया गया ?
उत्तर – श्रीलंका में एक कानून के तहत तमिल भाषा को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया । विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई । बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा दिया गया ।

प्रश्न 2. बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव कैसे होता है ?
उत्तर- डच , फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले लोग चाहे जहाँ वे रहते हों अपनी भाषा के आधार पर सामुदायिक सरकार का चुनाव करते हैं ।

प्रश्न 3. गृहयुद्ध से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- जिस देश में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले कि वह युद्ध – सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहा जाता है ।

प्रश्न 4. एथनीक या जातीय से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी – अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानी यह साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है ।

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प्रश्न 5. सत्ता की साझेदारी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – किसी देश में शासन करने की शक्ति का समाज के अलग – अलग समुदायों , वर्गों या लोगों में बँटवारा सत्ता की साझेदारी कहलाता है ।

प्रश्न 6. बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – वह व्यवस्था जिसमें देश में रहने वाला बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से शासन करे और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरत या इच्छाओं की अवहेलना करे बहुसंख्यकवाद कहलाता है ।

प्रश्न 7. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – श्रीलंका के सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा । इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक परस्ती के तहत कई कदम उठाए ।

प्रश्न 8. वैध सरकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – वह सरकार जो जनता द्वारा चुनी जाती है , वैध सरकार कहलाती है ।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 . सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ? एक तर्क दीजिए।
उत्तर – सत्ता की साझेदारी जरूरी है क्योंकि विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। ये सामाजिक टकराव हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेते हैं । इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है । बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है । इसलिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है । सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है ।

प्रश्न 2. युक्तिपरक और नैतिक तर्क में क्या अन्तर है ?
उत्तर – युक्तिपरक तर्क को समझदारी का तर्क भी कहा जाता है । इसमें प्र हानि – लाभ का सावधानीपूर्वक हिसाब लगाकर लिया गया फैसला युक्तिपरक तर्क कहलाता है जबकि नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अंतर्भूत महत्त्व को बताता है । इसमें विवेक या बुद्धि के आधार पर लाभ – हानि का हिसाब लगाकर फैसला नहीं किया जाता , केवल नैतिकता के आधार पर फैसला किया जाता है ; र जैसे — सत्ता की साझेदारी से सामाजिक समूहों के बीच टकराव खत्म होगा , ये सत्ता की साझेदारी के पक्ष में युक्तिपरक तर्क है तथा सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है या इससे लोकतंत्र स्थापित होता है । ये सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है ।

प्रश्न 3. सामाजिक विविधताओं वाले शासन में सत्ता का बँटवारा किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर – सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों , मसलन भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच हो सकता है । कुछ देशों के संविधान और कानून इस बात का प्रावधान करते हैं कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि ये लोग खुद को शासन से अलग न समझने लगे । अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है । ऐसा करके विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संभावित टकराव को दूर करने की कोशिश की जाती है । सत्ता के बँटवारे के द्वारा समाज के विभिन्न समूहों में एकता स्थापित करने की कोशिश की जाती है ।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-

प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग – अलग तरीके क्या हैं ? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए ।
उत्तर- आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं , जो निम्नलिखित हैं—

1. शासन के विभिन्न अंगों के बीच बँटवारा – शासन के विभिन्न अंग ; जैसे — विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है । इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी – अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं । इसमें कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित प्रयोग नहीं करता , हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है । इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बना रहता है । इसके सबसे अच्छे उदाहरण अमेरिका व भारत हैं । यहाँ विधायिका कानून बनाती है , कार्यपालिका कानून को लागू करती है तथा न्यायपालिका न्याय करती है । भारत में कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी है , न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है , न्यायपालिका , कार्यपालिका और विधायिका के कानूनों की जाँच करके उन पर नियंत्रण रखती है ।
2. सरकार के विभिन्न स्तरों में बँटवारा पूरे देश के लिए एक सरकार होती है जिसे केंद्र सरकार या संघ सरकार कहते हैं । फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग – अलग सरकारें बनती हैं , जिन्हें अलग – अलग नामों से पुकारा जाता है । भारत में इन्हें राज्य सरकार कहते हैं । इस सत्ता के बँटवारे वाले देशों में संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा किस तरह होगा । सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है । भारत में केन्द्र और राज्य स्तर के अतिरिक्त स्थानीय सरकारें भी काम करती हैं । इनके बीच सत्ता के बँटवारे के विषय में संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिससे विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों को लेकर कोई तनाव न हो ।
3. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा — कुछ देशों के संविधान में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि लोग स्वयं को शासन से अलग न समझने लगे । अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है । बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का अच्छा उदाहरण है ।
4. राजनीतिक दलों व दबाव समूहों द्वारा सत्ता का बँटवारा — लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता बारी – बारी से अलग – अलग विचार और सामाजि समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती – जाती रहती है । लोकतंत्र में हम व्यापारी , उद्योगपति , किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित हित समूहों को भी सक्रिय देखते हैं । सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करने या नीतियों पर अपने सदस्य वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं । अमेरिका इसका अच्छा उदाहरण है । वहाँ दो राजनीतिक दल प्रमुख हैं जो चुनाव लड़कर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं तथा दबाव समूह चुनावों के समय व चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों की आर्थिक मदद करके सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके सत्ता में भागीदारी निभाते हैं ।

 

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